अठगांवा की घटना से हर कोई मर्माहत, बेसहारा हुआ मजदूर का परिवार। सुबह में शौच जाते समय बेसहारा पशुओं के हमले से गई मजदूर की जान। गांव के मचा कोहराम।
बलिया : सरकार की ओर से गो आश्रय केंद्रों की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है कि बेसहारा पशु किसानों की फसलों को नुकसान न कर सकें। सड़कों पर ऐसे पशुओं से दुर्घटना न हों, लेकिन जनपद में अभी भी बेसहारा पशुओं की भरमार है। शहर से गांव तक बेसहारा पशु किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं, इसके बावजूद सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि सभी बेसहारा पशुओं को गो आश्रय केंद्रों पर डाल दिया गया है। जनपद में 16 ब्लाकों में ब्लाक स्तरीय और 10 शहरी क्षेत्रों में गो आश्रय केंद्र बनाए गए हैं। इसमें 1900 पशुओं को रखा गया है। सरकार के इस प्रयास के बाद भी बेसहारा पशु केवल फसलों को ही नहीं, अब इंसान की जान भी लेने लगे हैं।
इब्राहिमाबाद नौबरार पंचायत में मंगलवार को बेसहारा मवेशियोें के झुंड ने मजदूर को पटक कर मार डाला। पंचायत के बड़का सुफल टोला निवासी किशोर बिंद (55) सुबह शौच के लिए बाहर जा रहा था। वह दुर्गा मंदिर के पास के गुजर रहा था, तभी वहां बैठे आधा दर्जन मवेशियाें ने हमला बोल दिया। जिसके बाद उनकी मौत हो गई।
बेसहारा पशुओं संग जंगली शुकरों से भी जान का खतरा
अठगांवा की घटना ने सभी को अवाक कर दिया है। वहां के किसान महंथ यादव ने बताया कि इस क्षेत्र में केवल बेसहारा पशु ही नहीं जंगली शुकरों से भी जान का खतरा रहता है। नरहरी धाम मठिया द्वारा परित्यक्त गायों संग अन्य लोगों के द्वारा भी भारी संख्या में पशुओं को परित्यक्त कर दिया गया है। ये पशु अब आंतकी रूप अख्तियार कर लिए हैं। कुछ यही हाल जंगली शुकरों का भी है। वे भी किसी को अकेला पाने पर हमला बोल देते हैं। किसान ऐसे पशुओं से तंग हैं लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं सूझ रहा है।
शहर में भी छुट्टा घूमते हैं बेसहारा पशु
बेसहारा पशुओं से शहर भी खाली नहीं है। शहर में भी शहीद पार्क चौक, सब्जी मंडी, स्टेशन परिसर, कदम चौराहा आदि स्थानों पर ये पशु घूमते रहते हैं। वे कभी फल वाले ठेला पर अपना अपना मुंह मारते हैं तो कभी सड़क पर जमा कूड़े के ढ़ेर को विखरते मिल जाते हैं। ऐसे पशुओं पर जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।