चुनाव मैदान में सत्ता पक्ष भाजपा की ओर से सुभासपा छोड़कर भाजपा में आई सुप्रिया चौधरी पत्नी शिव दयाल चौधरी हैं तो विपक्षी दल सपा की ओर से बसपा छोड़कर सपा का उम्मीदवार बनें आनंद चौधरी हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता अब पूरी तरह अलर्ट मोड में आ चुके हैं। इधर भी सब खुश हैं..उधर भी सब खुश।
बलिया : जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए आज से चुनावी मैदान पूरी तरह सज गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी नेता अलर्ट मोड में आ चुके हैं। दोनों तरफ से कई दिग्गजों की पगड़ी दांव पर है। योगी आदित्यनाथ 18 जून को बलिया आगमन के दौरान बलिया की राजनीतिक जमीन भी भांप गए। चुनाव मैदान में सत्ता पक्ष भाजपा की ओर से सुभासपा छोड़कर भाजपा में आई सुप्रिया चौधरी पत्नी शिव दयाल चौधरी हैं तो विपक्षी दल सपा की ओर से बसपा छोड़कर सपा का उम्मीदवार बनें आनंद चौधरी हैं।
आनंद चौधरी पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी के पुत्र हैं। नामांकन के बाद यह लड़ाई अब दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंची है। दोनों ही उम्मीदवारों ने जिलाधिकारी कार्यालय में चुनाव अधिकारी के समक्ष शनिवार को अपना पर्चा दाखिल किया। इस मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
बदला चुकाने को बसपा बेकरार, हर मोड़ पर हैं सब तैयार
सत्ताधारी दल भाजपा और प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा उम्मीदवार की ओर से नामांकन दाखिल करने के बाद समाजवादी खेमा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है तो दूसरी ओर बसपा का साथ मिलने के बाद भाजपा भी पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर भागवा रंग चढ़ा हुआ मान रही है। कौन किस पर भारी पड़ेगा यह तो चुनाव के दिन पता चल पाएगा लेकिन जिला पंचायत सदस्यों को जातिगत और दलगत आधार पर दिग्गज साधने में सभी दल कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते। बलिया की यह सीट भाजपा किसी भी हाल में हथियाना चाहती है। जिला पंचायत अध्यक्ष के पूरे गेम में बसपा किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रही है। कल तक यही बसपा जिला पंचायत अध्यक्ष के पद को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थी लेकिन आनंद चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद अब बसपा भी उस दगाबाजी का बदला लेने की पूरी तैयारी कर ली है। बलिया में बसपा की ओर से उमाशंकर सिंह की पकड़ को भी कमजोर नहीं आंका जा सकता। सपा प्रत्याशी को हराने के लिए बसपा किसी हद जाने को तैयार दिख रही है। क्रास वोटिंग को रोकना भी दोनों दलों के लिए चुनौती है। बहरहाल, दोनों दल अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरजोर कोशिश कर रहे है, जिसके तहत जिला पंचायत सदस्यों से संपर्क करने और उन्हें अपने पाले में करने की कवायद तेज हो गई है। भाजपा की ओर से दो मंत्रियों, दो सांसदों के अलावा तीन विधायक कमान संभाले है तो दूसरी ओर सपा पांच पूर्व मंत्री और एक विधायक जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर सपा का कब्जा बरकरार रखने जद्दोजहद में जुटे हैं।
जिला पंचायत के हैं 58 सदस्य
बलिया में निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 58 है। इसमें दो तिहाई सदस्यों पर जिसकी पकड़ होगी, वह बाजी मार ले जाएगा। यहां दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट ओबीसी हुई है। इस चुनाव में अब आमलोगों की दिलचस्पी भी बढ़ गई है।
पंचायती राज का शीर्ष स्तर है जिला पंचायत
पंचायती राज व्यवस्था का शीर्ष स्तर ज़िला पंचायत है। इसमें दो या दो से अधिक ग्राम पंचायत को मिलाकर जिला पंचायत का एक वार्ड बनाया जाता है। इसी वार्ड से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होते हैं। इसके अध्यक्ष पद का चुनाव निर्वाचित सदस्यों के द्धारा किया जाता है। इसमें महिलाओं के लिए एक तिहाई स्थान आरक्षित रखने का भी प्रावधान है। सचिव जिला पंचायत का प्रमुख अधिकारी होता है। वह जिला पंचायत की मांग पर सरकार द्धारा नियुक्त किया जाता है। सचिव जिला पंचायत का बजट तैयार करता है तथा उसे जिला पंचायत के सम्मुख प्रस्तुत करता है। वह ज़िला पंचायत की ओर से सरकारी अनुदान तथा धन प्राप्त करता है। उसके द्धारा जिला पंचायत के आय-व्यय की अदायगी की जाती है। इसमें मुख्य कार्यपालिका अधिकारी प्रशासनिक सेवा के उच्च टाइम स्केल अधिकारियों में से नियुक्त किया जाता है। जिला पंचायत जिले में क्षेत्र पंचायतों तथा पंचायतों के कार्यों में ताल मेल उत्पन्न करती है, उनको परामर्श देती है तथा उनके कार्यों की देखभाल करती है। जिला पंचायत को स्वास्थ्य, शिक्षा तथा समाज कल्याण आदि के क्षेत्रों में कार्यकारी कार्य भी करने पड़ते हैं।
जिला पंचायत की समितियां
जिला पंचायत की समितियों में कार्यकारी समिति, नियोजन एवं वित्त समिति, उद्योग एवं निर्माण कार्य समिति, शिक्षा समिति, स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति, जल प्रबन्धन समिति होती है।
जिला पंचायत में आय के स्रोत
केन्द्र तथा प्रान्तीय सरकारों द्धारा अनुदान, अखिल भारतीय संस्थाओं से प्राप्त अनुदान, राजस्व का निश्चित हिस्सा, जिला पंचायत द्धारा क्षेत्र पंचायतों से की गई वसूलियां, जिला पंचायत द्धारा प्रशासनिक ट्रस्ट्रों से आय, ज़िला पंचायत द्धारा तथा लोगों द्वारा दिया गया अनुदान, जिला पंचायत सरकारी ऋण तथा सरकार की पूर्व अनुमति से गैर-सरकारी ऋण भी ले सकती है।