पूर्व पीएम चंद्रशेखर की पार्टी सजपा के उम्मीदवार भी दो बार रहे अध्यक्ष। सपा ने पार्टी की स्थापना के दो साल बाद ही इस सीट पर जमाया कब्जा। पहली बार महिला भारती सिंह बनी थीं अध्यक्ष। उनका कार्यकाल अगस्त 2000 से अक्टूबर 2005 तक रहा।
बलिया : त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में 73वां संविधान संशोधन के बाद 1995 से ही जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतों में विकास के द्वार खुले। 1995 के बाद हम बलिया में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के इतिहास को पलटते हैं तो यहां भाजपा काे आज तक अध्यक्ष पद पर आसीन होने का मौका नहीं मिला जबकि सपा ने पार्टी की स्थापना के दो साल बाद ही वर्ष 1994 से बलिया के जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। समाजवादी पार्टी की स्थापना 1992 में हुई थी। बलिया के जिला पंचायत की राजनीति में सपा की वह शुरूआत आज तक कमजोर पड़ी। 1994 में सपा ने नंदजी यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था। उनका कार्यकाल जून 1994 से जनवरी 1997 तक रहा। 1997 में जब चुनाव हुआ तो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पार्टी के श्याम बहादुर सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बने, उनका कार्यकाल जनवरी 1997 से मई 1997 ही रहा। उसके बाद जून 1997 से जून 2000 तक सजपा से ही भुनेश्वर चौधरी अध्यक्ष रहे। वर्ष 2000 में जब चुनाव हुआ तो इस सीट पर बसपा हावी हो गई और पहली बार महिला भारती सिंह अध्यक्ष बनाया। उनका कार्यकाल अगस्त 2000 से अक्टूबर 2005 तक रहा।
2006 में भी सपा का रहा कब्जा
वर्ष 2006 में चुनाव हुआ तो आठ साल बाद फिर सपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया और राजमंगल यादव को अध्यक्ष बनाया। इनका कार्यकाल जनवरी 2006 से जनवरी 2011 तक रहा। इस समय तक जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कड़ी टक्कर देखने को नहीं मिली। राजमंगल यादव निर्विरोध ही निर्वाचित हुए थे।
2011 में बसपा-सपा था घमासान
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में वर्ष 2011 में बसपा और सपा घमासान था। तब बसपा ने रामधीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था तो सपा ने दोबारा राजमंगल यादव पर ही अपना दांव लगाया था। वह चुनाव भी ठीक 2021 की तरह ही था। दोनों तरफ से जोरआजमाइस में कोई कमी नहीं थी। अंतत: सत्ताधारी पार्टी के रामधीर सिंह चुनाव जीते। उनका कार्यकाल जनवरी 2011 से जनवरी 2016 तक रहा।
2016 में भी सपा फिर हुई काबिज
वर्ष 2016 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई तो भी सपा जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अपने पाले में कर ली। उस वक्त सुधाीर पासवान को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया और निर्विरोध ही यह सीट निकाल लिया। सपा की यह तीसरी बार जीत हुई थी।
10 साल बाद हुई कांटे की जंग, सपा का परचम
वर्ष 2011 के बाद 2021 में यानि 10 साल बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा और सपा में कांटे की जंग हुई। जिला पंचायत की राजनीति में यह पहला मौका था जब भाजपा दमखम से इस चुनाव में हर मोड़ पर टक्कर दे रही थी। इसमें बसपा भी परोक्ष रूप से भाजपा के ही सहयोग में थी।