बलिया : जनपद में सीएमओ की कुर्सी कांटों भरी सेज से कम नहीं है। यहां आने वाले कोई भी सीएमओ धुरंधर बाबुओं के चुंगल से नहीं निकल पाते, जिसका खामियाजा उन्हें किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ता है। स्थानांतरित तत्कालीन सीएमओ डा. राजेंद्र पाल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। जनवरी 2021 में बलिया का पदभार ग्रहण करने वाले श्री प्रसाद को पूर्व सीएमओ डॉ. जितेन्द्र पाल की कोरोना से हुई मौत के बाद पहली बार मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनाकर बलिया भेजा गया था। इससे पहले वह महाराजगंज जनपद में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। बलिया में वह लगभग सात माह रहे लेकिन विभाग का बोझ को ढ़ाेने में कई मोड़ पर विफल दिखे। विभाग में संसाधन बढ़ाने से लेकर विभागीय भ्रष्टाचार पर भी नकेल नहीं कस पाए। उनके इर्द-गिर्द वही बाबू ज्यादा सक्रिय रहे जो कभी लाखों रुपये गबन के मास्टरमाइंड थे। सबसे ज्यादा दुखद बात तो यह रही कि कोरोना काल में बलिया के सीएमओ रहे डा. जितेंद्र पाल के निधन के करीब पांच माह बाद तक पेंशन शुरू करने या अन्य देयकों के भुगतान के मामले में उनके परिजनों तक को काफी दौड़ाया गया। विभाग के वरिष्ठ लिपिक गोपाल कुमार सीधे तौर पर धन उगाही के चक्कर में अपने मन की करते रहे। यह मामला सीएमओ श्री प्रसाद के संज्ञान में होने के बावजूद लटका रहा। प्रकरण को जब स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया तब वरिष्ठ लिपिक पर एक्शन हुआ और उन्हें निलंबित कर बलिया से ललितपुर संबद्ध किया गया। इस तरह एक नहीं कई कारण हैं जिसके चलते उन्हें प्रमोशन के बाद फिर डिमोशन पर विदा होना पड़ा। उन्नाव में तैनात अपर सीएमओ डॉ. तन्मय कक्कड़ को बलिया का सीएमओ बनाया गया है लेकिन अभी तक उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया है।
25 लाख के खरीदे गए थे घटिया कोविड सुरक्षा किट
स्थानांतरित सीएमओ डा. राजेंद्र प्रसाद के कार्यकाल में ही जेम पोर्टल से 25 लाख के घटिया कोविड सुरक्षा किट खरीदे गए थे। 17 मई 2021 को डिप्टी कलेक्टर ने भंडार गृह एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेें मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर व आक्सीमीटर को पकड़ा जिसकी गुणवत्ता ठीक नहीं थी। उक्त मामले में स्टोर प्रभारी को निलंबित कर सभी सामाग्री को वापस कर दिया गया, लेकिन जेम पोर्टल से जिसने खरीदारी की, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
50 लाख गबन के मास्टरमाइंड को दिया इनाम
यह बात वर्ष 2019 की है। तब लगभग 50 लाख रुपये गबन के एक मामले विभाग के तीन लोग सजा भुगत लिए, लेकिन उसी मामले का असल मास्टर माइंड कनिष्ठ बाबू सीएमओ श्री प्रसाद के कार्यालय के भी खास बना रहा। उक्त प्रकरण में साक्ष्य सहित निलंबित एक बाबू ने विभागीय उच्च अधिकरियों सहित मुख्यमंत्री तक प्रस्तुत किया लेकिन संबंधित पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे इनाम रूप में अकाउंट सेक्शन कार्य दे दिया गया।