बलिया : उत्तर प्रदेश के बलिया में कुल सात विधान सभा हैं। बलिया नगर, रसड़ा, बांसडीह, सिकंदरपुर, बेल्थरारोड, फेफना और बैरिया। अभी हम चर्चा बैरिया विधान सभा की करें तो इस बार यहां सपा के आंगन में टिकट के दावेदारों की बाढ़ है। पार्टी सुत्रों के मुताबिक बैरिया से कुल 24 दावेदारों ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के यहां अपनी दावेदारी की है। विधान सभा चुनाव 2022 में होने है लेकिन एक-दूसरे को पार्टी में कमजोर करने की रणनीति में कोई पीछे नहीं है। जाहिर है इन 24 दावेदारों में किसी एक को ही टिकट मिलना है, वह भी कब जब पार्टी के गोपनीय सर्वे में जनता और कार्यकर्ता संबंधित के पक्ष में अपनी मुहर लगाएंगे।
राजनीति में कोई सगा नहीं होता
यह सही है कि राजनीति में कोई सगा नहीं होता है। हर दल के लोग बाहर से तो एक दिखते हैं लेकिन टिक के मामले में सभी के कई रूप दिखते हैं। ऐसी स्थिति किसी एक दल की नहीं, सभी दलों की है। भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस में टिकट के दौड़ में शामिल लोगों की पड़ताल करें तो यही तस्वीर सामने आती है।
कोरोनाकाल में हुई असल पहचान
जनता के बीच टिकट के दावेदारों की कोरोना काल में भी असल पहचान हुई। बैरिया विधान सभा में एक या दो लोग ही मैदान में आपदा के शिकार परिवार की मदद करने में जुटे रहे, बाकी के लोग दूर से ही इंटरनेट मीडिया पर अपना बखान करते दिखे। धरातल पर उनके पांव अभी भी नहीं दिख रहे हैं।
शीर्ष नेतृत्व का है यह दायित्व
राजनीति से अलग सामान्य मानसिकता के लोगों से इस बारे में बात करने पर उनका कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को टिकट उसी को देना चाहिए, जिसे जनता चाहती हो। पार्टी यदि जातिगत एंगल से टिकट का फैसला करती है तो भी उसे हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। अभी के समय में पार्टी से जुड़ी जनता भी सभी दावेदारों पर मंथन कर रही है। कोरोना काल में कौन किसको पूछने आया, कौन गायब रहा, कौन तन-मन-धन से सेवा कार्य में जुटा रहा। अब राजनीतिक दलों को चाहिए कि वह धरातल पर सटीक सर्वे करे। कौन वास्तव में जनता की सेवा करने वाला है। कौन सभी वर्ग को साथ लेकर चलने वाला है। कौन शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला है।