बलिया : परिषदीय बच्चों के ड्रेस को लेकर हमेशा मंथन होते रहता है। सरकारों की तरह परिषदीय विद्यालय के बच्चों के ड्रेस भी बदलते रहे हैं। इसके बावजूद बच्चों के मनमाफिक ड्रेस नहीं मिल पाते। प्रबंध समिति की ओर से भी बहुत कुछ बेहतर नहीं हो सका। इस स्थिति को महसूस करते हुए शासन से पूरी व्यवस्था बदली जा रही है। नई व्यवस्था के तहत बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के ड्रेस की रकम अब अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी। अभी तक ड्रेस के लिए प्रति छात्र 600 रुपये विद्यालय की प्रबंध समिति के खाते में भेजे जाते हैं, वहीं पाठ्य पुस्तक, जूता, मोजा और बैग की खरीदारी शासन स्तर से की जाती है। इस प्रक्रिया में कभी-कभी इतना विलंब हो जाता है कि जाड़ा बीत जाने के बाद स्वेटर और जूता बच्चों को मिलते हैं। ड्रेस की खरीदारी में गांव के लोग अक्सर गुणवत्ता पर सवाल खड़ाकर जांच की मांग करते रहते हैं। इस नई व्यवस्था से बीच के कमीशन वाले खेल पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।
1110 रुपये प्रति छात्र देने पर चल रहा मंथन
नई व्यवस्था के तहत प्रति छात्र1110 रुपये अभिभावक के खाते में भेजने पर शासन में मंथन चल रहा है। इससे अभिभावक अपने बच्चों के लिए मनमाफिक ड्रेस, जूते, स्वेटर और बैग खरीद सकेंगे। जिले में 392 कंपोजिट और 259 जूनियर और 1598 प्राथमिक समेत कुल 2249 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें कक्षा एक से आठवीं तक करीब 2.97 लाख छात्र-छात्राएं नामांकित हैं।
बोले अधिकारी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शिवनारायण सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को ड्रेस बनवाने के लिए उनके अभिभावकों के खाते में ड्रेस की धनराशि भेजी जानी है। इसके लिए प्रधानाध्यापकों को अभिभावकों के बैंक डिटेल समेत अन्य प्रपत्र एकत्र करने के निर्देश दिए गए हैं। लगभग 90 प्रतिशत छात्रों के अभिभावकों का डिटेल सम्बंधित पोर्टल पर फीड किया जा चुका है।