बलिया : जनपद में गंगा और सरयू के जलस्तर में लगतार उतार-चढ़ाव जारी है। गंगा नदी में तेजी से बढ़ाव होन लगा है। सरयू नदी भी दो दिनों से बढ़ाव पर हैं। इससे तटवर्ती लोगों की चिंता बढ़ने लगी है। इस बीच बारिश के कारण भी नदी तट पर निवास करने वाले लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। शनिवार को गायघाट में गंगा का जलस्तर 53.910 मीटर दर्ज किया गया। एक दिन पहले यहां जलस्तर 53.570 था। गंगा 16 घंटे में 34 सेमी बढ़ाव किया है। यहां खतरा निशान 57.615 है। गंगा खतरा निशान से 3.705 मीटर नीचे हैं। तूर्तीपार डीएसपी हेड पर सरयू का जलस्तर 64.120 मीटर दर्ज किया गया। एक दिन पहले यहां 64.080 मीटर जलस्तर था। सरयू 16 घंटे में 4 सेमी बढ़ाव की हैं। यहां खतरा निशान 64.01 है। सरयू खतरा निशान से ऊपर बह रहीं हैं। चांदपुर में सरयू का जलस्तर 57.980 मीटर दर्ज किया। एक दिन पहले ययहां नदी का जलस्तर 57.940 मीटर था। यहां भी सरयू नदी चार सेमी बढ़ाव की हैं। यहां खतरा निशान 58.00 मीटर है।
सरयू 1982, 1998 और गंगा 2016 में मचायी भयंकर तबाही
जनपद में गंगा और सरयू के भयंकर बाढ़ के रिकार्ड भी सभी मीटर गेज वाले स्थानों पर दर्ज हैं। उसके तहत 1982, 1998 में सरयू और 2016 में गंगा ने भयंकर तबाही मचायी थी। 1982 में चांदपुर में सरयू का उच्चतम जलस्तर 60.24 मीटर दर्ज किया गया था।इसी तरह 1998 में तूर्तीपार डीएसपी हेड पर उच्चतम जलस्तर 66.00 मीटर दर्ज किया था।2016 में गायघाट में गंगा का उच्चतम जलस्तर 60.390 मीटर दर्ज किया गया था।
कटानरोधी कार्य अधूरा रहने से ज्यादा खतरा
जनपद के कुल 12 डेंजर स्थानों पर लगभग 95.54 करोड़ की लागत से कटानरोधी कार्य कराए गए हैं, लेकिन बहुत से स्थानों पर कार्य 100 फीसद पूर्ण नहीं हो पाए हैं। इससे तटवर्ती लोगों के मन में एक बार फिर तबाही का डर सताने लगा है। जनपद में लगभग 10 लाख की आबादी हर साल बाढ़ की तबाही झेलती है।वर्ष 2016 से कटान और तबाही को लेकर ज्यादा चर्चा में बैरिया तहसील का दूबे छपरा ही रहा है।यहां का रिंग बांध पहली बार 27 अगस्त 2016 को टूटा था, उसके बाद लगभग 29 करोड़ से कटानरोधी कार्य कराया गया। बचाव कार्य होने के बाद भी 16 सितंबर 2019 को वही रिंग बंधा दोबारा टूट गया।उसके अगले दिन 17 सितंबर 2019 को स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौके पर पहुंचे थे।अब यहां कटानरोधी कार्य के अलावा नदी की धारा मोड़ने के लिए लगभग 29 करोड़ की लागत से एक साल से ड्रेजिंग कार्य हो रहा है, लेकिन वह कार्य भी अभी आधा-अधूरा है।गंगा नदी का रूख देख स्थानीय लोगों में अभी भी सहमे हुए हैं।इस साल भी गंगा यहां तबाही न मचा दे इस बात का डर सभी के मन में है।
बीएसटी बांध पर भी खतरा
जेपी के गांव जाने वाले बीएसटी बांध पर सरयू नदी का दबाव रहता है। पिछले साल कार्य होने के बाद भी बांध पर सठिया ढ़ाला के पास बना टी आकार का स्पर कट गया था। इस बार 721.13 लाख से स्पर का मरम्मत और 1866.79 लाख से दो अलग स्पर का निर्माण कार्य कराया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों को कहना है कि कहीं भी कार्य मानक के अनुसार नहीं हुआ है। इस बंधे के अंदर में लगभग दो लाख की आबादी निवास करती है। इस रिंग बांध के दूसरे सिरे पर गंगा का भी दबाव रहता है। कुल लगभग 22 किमी के इस बांध की स्थिति यह है कि कई स्थानों पर जंगली जानवर अपना बिल बनाकर चाल चुके हैं। इससे दिक्कत यह कि जब बाढ़ का पानी बंधे पर दबाव बनाता है तो कई स्थानों पर रिसाव होने लगता है।