बलिया : गंगा के जलस्तर में लगातर वृद्धि से एनएच 31 के दक्षिण बसे लगभग दो लाख की आबादी बाढ़ के पानी से घिर गई है। बहुत से लोग राष्ट्रीय राजमार्ग पर आकर शरण लिए हैं। वहीं कई गांवों के लोग दूसरे स्थान पर अब तक 250 परिवार के लोग सड़क किनारे तिरपाल टांग कर अपनी पशुओं और बच्चों के साथ पड़े हैं। यहां न उन्हें दिन को ही चैन मिल पा रहा है, न रात को वह सकून से सो पा रहे हैं। दिन में पशुओं के चारे के लिए डूबे फसल को काटकर पशुपालक ला रहे हैं और पशुओं को खिला रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से अभी तक भूसा की व्यवस्था नहीं हुई है। तहसील प्रशासन की ओर से दूबेछपरा में बाढ़ राहत शिविर स्थापित किया गया है। अचानक आई बाढ़ के कारण लोग अपने दैनिक जीवन की सामग्री भी नहीं जुटा सके हैं। जिस कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के टेंगरही से दक्षिण व पश्चिम में पांडेपुर, गुदरी राय के टोला, अलम राय के टोला, बुधनचक, तिवारी टोला, उदयी छपरा, गोपालपुर, दुबे छपरा, सुघर छपरा, रामगढ़ सोनार टोला, शुक्ल छपरा, जग छपरा, पोखरा, बाबूबेल, बन्धुचक, भरसौता, हल्दी, नन्दपुर, नेम छपरा, राजपुर इकौना, चैन छपरा, रेपुरा सहित कई गांवों की आबादी प्रभावित है। इन इलाकों के विद्यालयों में भी पानी प्रवेश कर गया है। बाढ़ राहत शिविर की ओर से सड़क पर जरनेटर के माध्यम से लाइट की व्यवस्था की गई है। परिवार के हिसाब से तिरपाल वितरित किया गया है, लेकिन अभी सभी को भोजन का इंतजाम खुद से ही करना पड़ रहा है।
नाव की व्यवस्था नहीं होने से कटा संपर्क
इस क्षेत्र में छोटी नाव की व्यवस्था नहीं होने से बहुत से लोगाें को संपर्क कट गया है। बहुत से लोग बाढ़ के बीच अपने घरों में ही रह रहे हैं। घर में किसी की तबियत खराब होने पर उन्हें कई तरह की कठिनाइयों से गुजरते हुए सड़क तक आना पड़ रहा है। प्रभावित इलाके के लोग नाव की व्यवस्था के लिए मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से नाव की व्यवस्था नहीं हुई है।