बलिया : बैरिया तहसील में टेंगरही से एनएच-31 से निकलकर बहुआरा, मुरारपट्टी, लालगंज, दोकटी, रामपुर कोड़रहा, खवासपुर, बाबू के डेरा, जयप्रकाशनगर, गरीबा टोला, इब्राहिमाबाद नौबरार (अठगांवा) होते हुए चांददियर में पुन: एनएच-31 से जुड़ने वाले बीएसटी बांध पर गंगा का दबाव बना हुआ है। गांव के लोग बता रहे हैं कि बांध की लंबाई 22 किमी है। इससे दो लाख की आबादी जुड़ी है। बांध में जगह-जगह जंगली जानवर सियार, नेवला व साहिल आदि अपना मांद बनाकर चाल चुके हैं। इससे पानी के रिसाव का खतरा है। वर्ष 2016 में जब दुबे छपरा का रिंग बांध टूटा था, तब इस बंधा पर भी दो स्थानों पर रिसाव होने लगा था, लेकिन सिंचाई विभाग ने स्थिति को तत्काल नियंत्रित कर लिया था। गंगा का बाढ़ तब भी इसी लेवल पर था। इस बार भी ठीक वैसी ही स्थिति का लोग सामना कर रहे हैं। जयप्रकाशनगर रेगुलेटर पर भी गंगा के पानी का दबाव बना हुआ है।
रिंग बांध का निर्माण अधूरा रहने से बाढ़ के हवाले सिताबदियारा
यूपी-बिहार की संयुक्त परियोजना वाले सिताबदियारा रिंग बांध का निर्माण कार्य चार साल में भी यूपी की ओर से पूरा नहीं किए जाने के चलते यूपी सीमा के ग्राम पंचायत कोड़हरा नौबरार के भगवान टोला, पूर्वी दलजीत टोला, भवन टोला, अनुसूचित बस्ती आदि में गंगा का पानी घुस गया है। सरयू के पानी से इब्राहिमाबाद नौबरार (अठगांवा) और बिहार सीमा के सिताबदयारा और दक्षिणवारी चक्की के लगभग 15 गांवों में पानी घुस गया है। इन गांवों को बाढ़ से सुरक्षित करने के लिए यूपी-बिहार की ओर से 125 करोड़ की लागत से दोनों सीमा में रिंग बांध बनाना था। बिहार की ओर से चार किमी में यह रिंग बांध एक साल पहले बन गया लेकिन यूपी की ओर से लगभग 40 करोड़ से गंगा और सरयू के किनारे रिंग बांध का निर्माण कार्य अधूरा रह गया। यूपी की इस लापरवाही से दोनों सीमा की लगभग 50 हजार की आबादी बाढ़ की विभीषिका झेलने को विवश हैं। बड़ी बात यह कि इन गांवों पर प्रशासन का भी कोई ध्यान नहीं है। कुछ स्थानों पर नाव की व्यवस्था की गई है, बाकी की व्यवस्था बाढ़ पीड़ित स्वयं से कर रहे हैं।