बाजार के अभाव में कम होता मुनाफा
बलिया में गंगा और सरयू के तटवर्ती इलाकों में लगभग 800 एकड़ में परवल की खेती होती है। अब बहुत से किसान काली मिट्टी पर भी परवल की खेती करने लगे हैं। ऐसे में यह आकड़ा बढ़ भी सकता है। सीजन में जनपद में प्रतिदिन 6000 क्विंटल परवल का उत्पादन होता है, लेकिन उत्पाद बेचने के लिए अच्छा बाजार नहीं मिल पाता। इस वजह से कम मुनाफा होता है। किसान नगर के मंडी, रानीगंज, सिंकदरपुर, बेल्थरारोड, बांसडीह, रसड़ा या अपने नजदीकी बाजारों में परवल की बिक्री करते हैं। बैरिया तहसील क्षेत्र के किसान बिहार के रिविलगंज और छपरा जाकर परवल की बिक्री करते हैं।
बेरोजगार युवकों के लिए वरदान
जिलों के कृषि उत्पादों की बेहतरी के लिए अक्टूबर से दिसंबर तक अभियान चलेगा। किसानों को बेहतर जानकारियां दी जाएंगी। यह पहल युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। बलिया में पहले से ही भारी संख्या में युवा परवल की खेती करते हैं। सिताबदियारा के किसान झूलन सिंह ने बताया कि अपनी माटी पर तुमरिया और शंखा दो प्रजाति के परवल की खेती होती है। प्रति बीघा लागत अभी के समय में 25 से 30 हजार होता है। बाजार ठीक रहा तो मुनाफा 70 हजार से एक लाख तक हो सकता है। ओडीओपी के तहत यदि सरकार सहयोग करेगी तो मुनाफा का दायरा निश्चित तौर पर बढ़ जाएगा।