बलिया : पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने चार साल बाद पुन: सपा का दामन थाम लिया। श्री चौधरी के सपा में शामिल होने की पटकथा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय ही लिखी गई थी। सपा द्वारा उनके बेटे आनंद चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ही यह स्पष्ट हो गया था कि वह बहुत जल्द सपा में वापसी करेंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बेटे आनंद चौधरी के नामांकन के दिन ही श्री चौधरी सपा की टोपी पहल लिए थे। सपा की टोपी पहने ही उन्होंने भाषण भी दिया था। सपा में शामिल होने की अधिकारिक औपचारिकता शनिवार को लखनऊ के पार्टी कार्यालय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में निभायी गई। श्री चौधरी की घर वापसी के बाद बलिया के राजनीतिक परिदृश्य भी बदल जाएंगे। बलिया सहित पूर्वांचल के कई विधान सभा सीटों पर श्री चौधरी की मजबूत पकड़ मानी जाती है।
मेरे पुनर्जन्म की तरह सपा ज्वाइन करना
अंबिका चौधरी ने कहा कि सपा ज्वाइन करना मेरे लिए पुनर्जन्म की तरह है। हम अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाएंगे। मुझे जो भी उपलब्धियां मिली हैं वो इसी छांव की उपलब्धियां हैं। पार्टी ने बहुत कठिनायों में हमारे साथ रहकर जो लड़ाई लड़ी है, आज उसकी परीक्षा की घड़ी है। 2022 विधानसभा चुनाव में हमारी सरकार बनेगी यही उद्देश्य है। अंबिका चौधरी के साथ करीब 8 से 10 जिला पंचायत सदस्य व अन्य कई नेता भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण किए। इस दौरान श्री चौधरी कुछ पल के लिए भावुक भी हो गए। इस दौरान सपा मुखिया ने कहा कि पार्टी में दोबारा साथ आ रहे अंबिका चौधरी का स्वागत करता हूं। इस लड़ाई के समय में एक साथ आ रहे हैं, हम लोग सफल होंगे। बहुमत की सरकार बने, उस दिशा में काम करेंगे। कहा कि अंबिका चौधरी जो कहना चाह रहे थे, वो भी नहीं कह पा रहे थे। कितने कष्ट से ये गए होंगे। आज मुझे एहसास हुआ है। मेरी कोशिश रहेगी नेताजी से जुड़े हुए सभी लोगों को एक साथ लाया जाए।
2017 के विधान सभा चुनाव में छोड़ी थी सपा
समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहने के साथ मुलायम-शिवपाल के विश्वासपात्र और अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अंबिका चौधरी 2017 में साइकिल छोड़ हाथी पर सवार हो गए थे। बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में उन्हें बसपा की सदस्यता ग्रहण कराई थी। मायावती ने अंबिका को बलिया की फेफना सीट से बतौर बसपा प्रत्याशी विधानसभा चुनाव लड़वाने का एेलान भी किया था। कानून के क्षेत्र से सियासत में कदम रखने वाले श्री चौधरी का बसपा में शामिल होना सपा के लिए करारा झटका था, लेकिन अब परिवार में उनकी वापसी से सपा के सभी नेता और कार्यकर्ता भी खुश हैं।
चुनाव हारने के बाद भी मिला था मंत्री पद
प्रदेश के कद्दावर नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले अंबिका चौधरी ने पहली बार वर्ष 1991 में जनता दल के टिकट पर कोपाचीट विधानसभा सीट से भाग्य आजमाया था, लेकिन चुनाव हार गए। वर्ष 1993 में पहली बार सपा से विधायक चुने गए। इसके बाद वर्ष 1996, 2002 तथा 2007 में लगातार चार बार विधायक बने। वर्ष 2002 में बनी सपा की सरकार में भी मंत्री रहे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में अंबिका चौधरी हार गए। हालांकि प्रदेश में सपा सरकार बनी तो बार फिर वह मंत्री बने। कुछ माह बाद एमएलसी भी चुने गए। सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। वर्ष 2017 के चुनाव में सपा से टिकट नहीं मिलने के कारण वह दशकों पुरानी पार्टी को छोड़कर बसपा में शामिल हुए थे। श्री चौधरी की घर वापसी को सपाई बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। राजनीतिक दिग्गज इसे विधानसभा 2022 की तैयारियों से जोड़कर देख रहे हैं।