उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बलिया में सरकार की सभी योजनाएं पहुंचते-पहुंचते बूढ़ी हो जातीं हैं। सरकारें आती-जाती रहतीं हैं, लेकिन बलिया की समस्याएं खत्म नहीं होतीं। अभी के समय में दो दिनों की बारिश ने शहर से लेकर गांव तक की पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी है। पूरे शहर में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में नाव चल रही है। शहर के लगभग माेहल्लों में लोग जलजमाव से त्रस्त होकर व्यवस्था काे कोस रहे हैं।
बलिया : बारिश ने ऐसा कहर ढ़ाया, अपना शहर देख रोना आया। जी हां ! मै बात बलिया का ही कर रहा हूं। बलिया के विकास की बातों पर ताली बजाने वाले आज आकर बलिया शहर की हालात को करीब से देख सकते हैं। अक्टूबर की दो दिन की बारिश ने ही विकास की पोल खोल दी है। सभी सरकारी कार्यालय, अधिकारियों के आवास, सड़कें झील बन चुकी हैं।
जिला कारागार में पानी होने पर इस साल भी बंदियों को अन्यत्र जेल में शिफ्ट किया जा रहा है। मिड्ढी चौराहे से एनसीसी तिराहा तक की सड़क तो पूरी तरह से जानलेवा हो गई है। पुलिस लाइन मार्ग भी सुरक्षित नहीं है। टैगोर नगर, काजीपुरा, विवेकानंद कालोनी, आनंदनगर, रामदहिनपुरम, तिखमपुर, एससी कालेज से जापलिनगंज, बेदुआं आदि मोहल्लों में लोगों का जीवन ही नारकीय बन गया है। वहीं पुलिस कार्यालय, माडल तहसील, पुलिस परेड ग्राउंड, पुलिस लाइन, वीर लोरिक स्पोटर्स स्टेडियम, जीजीआइसी की हालत वैसी ही है।
कुंवर सिंह चौराहे के पास स्थित पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में मंत्री से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों का प्रतिदिन आना-जाना लगा रहता है। इसके बाद भी यहां जलनिकासी की व्यवस्था नहीं हो रही है। डाक बंगला परिसर में लबालब पानी भरा है। भारी बारिश की वजह से बाढ़ से लोगों को बचाने वाले खुद ही पानी से घिर गए हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के रहने वाले आवास में पानी घुस गया है। जापलिनगंज मोहल्ले व पुलिस चौकी में बरसात का पानी घुसने से परेशानी खड़ी हो गई है। चौकी इंचार्ज के बैठने वाले स्थान के साथ ही आवास के अंदर पानी भर गया है।