एस पांडेय. बैरिया
प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बैरिया विधान सभा क्षेत्र संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण और छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र का गृह विधान सभा क्षेत्र है। यहां की राजनीति एक बार फिर उलझी हुई दिख रही है। कौन किस पर भारी पड़ेगा यह तय कर पाना मुश्किल है। पल-पल समीकरण बदल रहे हैं। भाजपा ने दूसरे विधान सभा के निवासी और बलिया नगर सीट के विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल पर दांव लगाया तो सपा भी बेल्थरारोड विधान सभा क्षेत्र के निवासी बैरिया के पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल को टिकट दिया। हालांकि भाजपा और सपा दोनों दलों से टिकट के दावेदारों की लंबी लिस्ट थी। इसके बावजूद दोनों प्रमुख दलों ने विधान सभा से बाहर के प्रत्याशियों पर भरोसा जताया। इसको लेकर भी बहस छिड़ी है। सपा से टिकट के प्रबल दावेदार पूर्व विधायक सुभाष यादव टिकट से बेदखल होने के बाद बसपा से ताल ठोक रहे हैं। वहीं भाजपा के सीटिंग विधायक सुरेंद्र सिंह विकासशील इंसान पार्टी से दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं। जातिगत हिसाब से देखें तो यहां क्षत्रिय और यादवों की संख्या बराबरी पर है। अन्य पिछड़ा वर्ग और ब्राह्मण समाज इस बार निर्णायक भूमिका में हैं।
2017 में भी चला था टिकट का दांव पेंच
2017 के विधान सभा चुनाव में भी बैरिया में टिकट को लेकर इस तरह का दांव-पेंच चला। आज जो कहानी सुरेंद्र के साथ दोहरायी गई है, इसकी नींव 2012 में पड़ी थी। मुक्तेश्वर सिंह बसपा से चुनाव लड़ रहे थे, जबकि भरत सिंह भाजपा से और जयप्रकाश अंचल सपा से प्रत्याशी थे। मुक्तेश्वर और भरत सिंह के बीच अगड़ी जाति का वोट बंटा और सपा के जयप्रकाश अंचल लगभग 500 वोट से चुनाव जीत गए। चुनाव हारने के बाद भरत सिंह 2014 में भाजपा से लोकसभा चुनाव में उतरे और विजयी हुए। सांसद बनने के बाद 2017 के विधान सभा चुनाव में टिकट मामले में भरत सिंह ने सुरेंद्र को चुना। 2019 के लोकसभा चुनाव में भरत सिंह का टिकट भी कट गया। भाजपा ने वीरेंद्र सिंह मस्त को टिकट दिया। अभी के समय में वीरेंद्र सिंह ही सांसद हैं।
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