विधान सभा चुनाव का मतदान होने के बाद हर विधान सभा क्षेत्र में छिड़ी बहस। बैरिया, बांसडीह, बलिया नगर और फेफना में कांटे की जंग की कर रहे हैं पुष्टि। बलिया नगर में 53.8, बांसडीह में 53.08, फेफना में 55.8, और बैरिया में हुआ है 47.5 प्रतिशत मतदान।
एस पांडेय, बलिया
विधान सभा चुनाव के छठे चरण का मतदान संपन्न हो गया। बलिया के सातों विधान सभा क्षेत्रों के 82 उम्मीदवारों के भाग्य ईवीएम में बंद हो चुका है। 10 मार्च को मतगणना के दौरान जीत-हार का फैसला होगा, लेकिन हर विधान सभा क्षेत्र में जीत-हार की बतकही तेज हो चली है। मतदान के अगले दिन शुक्रवार को जब हम बैरिया विधान सभा क्षेत्र से लेकर बांसडीह, बलिया नगर और फेफना विधान सभा क्षेत्र की चुनावी चर्चा सुनने निकले। जगह-जगह चुनाव के दौरान के मतभेद मिटते दिखे, लेकिन जीत-हार को लेकर आपस में बहस तल्ख थी। जीत के प्रति आश्वस्त समर्थक यह शर्त भी लगाते दिखे कि फलां यदि नहीं जीते तो वह गांव छोड़ देंगे। अपना चेहरा नहीं दिखाएंगे। हंसी-मजाक के बीच कुछ इस अंदाज में भी जीत का दावा कर रहे थे कि फलां यदि नहीं जीते तो वह अपनी मूंछ मुड़वा लेंगे। लोकतंत्र का महापर्व मतदान शांतिपूर्ण संपन्न होने से सभी लोग खुश दिखे। गांव व शहर का पुराना माहौल वापस होते दिखा। सड़कों पर हर दिन की तरह वाहन भी रफ्तार भरते दिखे। हम अपनी यात्रा बैरिया विधान सभा क्षेत्र से शुरू किए तो लालगंज में कुछ लोग एक दुकान पर बैठे मिले। वहां की चर्चा में शामिल होने पर शिव सेवक चौबे बोले कि मतदान के बाद यही लग रहा है कि यहां त्रिकोणीय लड़ाई है, लेकिन वहीं बैठे धनेश्वर पाठक इससे सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि लड़ाई योगी बनाम अखिलेश के नाम है। जबकि योगेंद्र सिंह वीआइपी पार्टी की जीत का दावा भी मजबूती से किए। बसपा के समर्थक भी खुद को कमजोर नहीं मान रहे थे। बैरिया से निकल कर जब हम बांसडीह विधान सभा क्षेत्र के सहतवार में पहुंचे तो वहां भी सपा व भाजपा के समर्थक अपने प्रत्याशी की जीत के प्रति आश्वस्त थे। सड़क पर बाइक से जा रहे एक युवक दीपक शर्मा से पूछने पर बताया कि बांसडीह की लड़ाई इस बार भी कांटे की है। मतदान के दौरान हर बूथ भाजपा व सपा के कार्यकर्ता टकराते रहे। ऐसे में जीत किसकी होगी कहना थोड़ा मुश्किल है। हम जब बलिया नगर विधान सभा के शहर में पहुंचे तो कुंवर सिंह चौराहे पर 10 की संख्या में युवा खड़े थे। उनसे बात करने पर राजू सिंह भाजपा की जीत के प्रति आश्वस्त थे, जबकि हरि यादव सपा की सरकार बनते देख रहे थे। यहां मौजूद राजा चौबे ने कहा कि इस सीट पर भी लड़ाई कांटे की है। अभी जीत-हार का फैसला करना उचित नहीं है। फेफना बाजार में पहुंचने पर यहां सुनील सिंह, नंदलाल सिंह, सुदर्शन यादव, जयशंकर यादव आदि ने कहा कि मतदान के बाद भी इस सीट की स्थिति स्पष्ट नहीं है। हां इतना जरूर है कि अनुसूचित जाति के मतदाता सपा या भाजपा में जिधर वोट दिए होंगे, जीत उसी की होगी, लेकिन यहां से बसपा के उम्मीदवार भी अपना वोट विखरने नहीं दिए हैं। कई स्थानों पर राजनीतिक गणित का ज्ञान रखने वाले जातिगत संख्या के आधार पर भी जीत हार का फैसला करते दिखे।