2017 में सात में से पांच सीट पर जीत हासिल की थी भाजपा। मंत्री आनंद, उपेंद्र और सीटिंग विधायक संजय की सीट फिसली।
एस पांडेय, बलिया
विधान सभा चुनाव में जिले की सात सीटों में से भाजपा को मात्र दो सीटें मिली हैं। सपा चार सीट लेने में सफल रही। मतगणना के बाद मिले वोट जिले की हर सीट पर जीत-हार की कहानी स्पष्ट रूप से बयां कर रहे हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा के हिस्से में बेल्थरारोड, बैरिया, फेफना, सिकंदरपुर और बलिया नगर सीट थी। इस चुनाव में इन पांच सीटों में मात्र एक सीट बलिया ही भाजपा को मिल सकी। हां भाजपा ने सपा मजबूत कब्जे वाली सीट बांसडीह को पहली बार अपने पाले में जरूर किया, लेकिन कुल मिलाकर पिछले चुनाव के सापेक्ष भाजपा को तीन सीटों का नुकसान हुआ है। यह लाभ सपा काे हुआ है। बसपा अपनी पुरानी सीट रसड़ा को बचाने में सफल रही है।
बैरिया में दो के बीच टकराव से जीती सपा
जिले की बैरिया सीट पर सपा दूसरी बार जीत हासिल की है। इससे पहले अधिकांश बार इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा। इस चुनाव में दो सवर्णों में टकराव उस दिन से शुरू हुआ जिस दिन सीटिंग विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट कटा। यहां आनंद स्परूप शुक्ल को भेजा गया। पार्टी के इस निर्णय से खफा सुरेंद्र बागी ही मैदान में कूद गए। बाद में वह विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार हो गए। उधर सपा की भी यही दशा थी। बसपा उम्मीदवार पूर्व विधायक सुभाष यादव पहले सपा से ही चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर बसपा से कूदे। वोट विखराव में फर्क यह दिखा कि भाजपा के वोट भारी संख्या में दो भागों में बंट गए, जबकि सपा के वोट एक ही प्रत्याशी पर टिके रहे। कुल 176654 वोटों में सपा उम्मीदवार जयप्रकाश अंचल को 71241, भाजपा के आनंद स्परूप शुक्ल को 58290, वीआइपी के सुरेंद्र को 28615 और बसपा के सुभाष को 12693 वोट मिले हैं। आनंद स्परूप शुक्ल और सुरेंद्र को वोट मिलाकर 86905 मत हो रहे हैं। वहीं सपा के जयप्रकाश अंचल और बसपा के सुभाष यादव के वोट का जोड़ 83934 हैं। बैरिया में 2012 में भी यही सीन था। भाजपा के भरत सिंह और बसपा से मुक्तेश्वर सिंह चुनाव लड़े थे। सर्वण वोटों में बंटवारा हुआ और पहली बार इसी सीट से सपा के जयप्रकाश अंचल विधायक बने थे। हालांकि उस वक्त जीत का अंतर 557 था। उस चुनाव में सपा के जेपी अंचल को 46088 वोट, भाजपा के भरत सिंह को 45531 वोट और बसपा के मुक्तेश्वर सिंह को 31808 वोट मिले थे।
फेफना में भाजपा की हार की यह है मूल वजह
भाजपा के मंत्री उपेंद्र तिवारी की सीट फेफना में हार की मूल वजह यह है कि यहां 2012 व 2017 के चुनाव में दो यादव प्रत्याशी होने के चलते सपा के वोट विखर गए थे। उसका लाभ भाजपा को मिला था। 2012 में यहां पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी सपा से थे। संग्राम सिंह यादव सुभासपा से थे। उपेंद्र तिवारी भाजपा से। सपा के वोट बंटे और भाजपा की जीत हुई। 2017 के चुनाव में अंबिका चौधरी बसपा से थे, संग्राम सिंह यादव सपा से और उपेंद्र तिवारी भाजपा से। सपा के वोट विखराव का लाभ उपेंद्र को मिला, लेकिन इस चुनाव में गणित कुछ अलग हो गई। सपा से संग्राम सिंह यादव रहे। उनके सहयोग में अंबिका चौधरी भी जुटे रहे। नतीजा यह निकला कि सपा के वोट एक ही जगह केंद्रित रहे और भाजपा के उपेंद्र तिवारी को हार का सामना करना पड़ा। यहां सपा के संग्राम सिंह यादव को 92516 व भाजपा के उपेंद्र को 73162 वोट मिले हैं।
बेल्थरारोड व सिकंदपुर में बसपा बनी हार का कारण
जिले की सिकंदरपुर और सुरक्षित सीट बेल्थरारोड में भाजपा की हार का कारण बसपा बनी है। शुरूआत में अनुसूचित जाति के वोट भाजपा से सट रहे थे, लेकिन बसपा की ओर से दमदार प्रत्याशी आने के बाद ये वोट बसपा की ओर चले गए। जबकि सपा के वोट एक जगह रहे। सिकंदरपुर में सपा के जियाउद्दीन रिजवी को 75446, भाजपा के संजय यादव को 63591 और बसपा के संजीव कुमार को 29604 वोट मिले हैं। वहीं बेल्थरारोड में सपा के हंसू राम