बलिया : वर्ष 2007 में बलिया में बसपा का खूब बोलबाला रहा। यहां की आठ सीटों में से छह पर पार्टी ने अपना परचम लहराया था, लेकिन 2012 में नए परिसीमन के बाद बसपा सिर्फ एक सीट रसड़ा पर ही कायम रही। इस चुनाव में तो यह सीट पूरे प्रदेश की इकलौती बसपा सीट बन गई है। 2007 के चुनाव की बात करें तो तब यहां की आठ विधानसभा सीटों में द्वाबा से सुभाष यादव, बलिया से मंजू सिंह, सीयर से केदारनाथ वर्मा, सिकंदरपुर से भगवान पाठक, बांसडीह से शिवशंकर चौहान, रसड़ा से घुरा राम विधायक बने थे। सपा के अंबिका चौधरी कोपाचिट और सनातन पांडेय चिलकहर से जीते थे। इसके बाद 2012 में जब नया परिसीमन हुआ तो एक सीट चिलकहर कम हो गई। कुछ के नाम परिवर्तित हो गए। द्वाबा बैरिया हो गया। सीयर बेल्थरारोड और कोपाचिट फेफना हो गई। रसड़ा, बांसडीह, सिकंदरपुर और बलिया उसी नाम से रहे। जनपद में बसपा की सियासत जमीन खोने लगी है।
अब प्रदेश में बसपा की इकलौती सीट सिर्फ रसड़ा
जिले की रसड़ा सीट पर 2012 व 2017 में बसपा के उमाशंकर सिंह जीते थे। इस बार के चुनाव में उनकी घेराबंदी सपा व सुभासपा गठबंधन की ओर से मजबूती से की गई थी। वोटों की गिनती में शाम तक उतार-चढ़ाव चलता रहा। अंतत: वह 6583 वोट से जीतने में सफल रहे। उमाशंकर को 87887 वोट मिले हैं जबकि दूसरे स्थान पर रहे सुभासपा के महेंद्र चौहान को 81304 वोट।