आचार्य सागर पंडित, बलिया
रंगों का त्योहार होली की तिथियों को लेकर संशय बना हुआ है। कुछ लोग 18 तो कुछ 19 को होली मनाने की बात कह रहे हैं। जिले के सभी गांवाें में होली मनाने की तिथि को लेकर लोग भ्रमित हैं। होली को लेकर भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। 19 मार्च को होली मनाना ही सही है। होलिका दहन 17 मार्च को रात्रि में भद्रोपरांत 1.10 बजे के बाद करना उचित है। उससे पहले भद्रा में होलिका दहन नहीं हो सकता है। इस बार प्रदोष काल गुरूवार 17 मार्च को 1.05 बजे के बाद प्राप्त हो रहा है और शुक्रवार 18 मार्च को 12.55 तक रह रहा है। दिन में होलिका दहन करना निषेध है। इसलिए रात्रि में ही होलिका दहन होगा। 18 मार्च को प्रदोषकाल की प्राप्ति से काशी में बाबा विश्वनाथ को होली खेलाई जाएगी। उसके अगले दिन 19 मार्च को बलिया सहित सर्वत्र होली मनाना शास्त्रगत दृष्टि से सही है।
कई लोग यह सवाल कर सकते हैं कि एक दिन पहले काशी में होली का क्या अभिप्राय है? इसका जवाब यह है कि हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार में देव विशेष की पूजा पहले की जाती है। उसके बाद हम स्वयं के लिए उसका उपयोग करते हैं। देवो के देव महादेव हैं। इसलिए होलिका के बाद पहले भगवान शिव को रंग, अबीर, गुलाल अपर्ण किया जाएगा। उसके अगले दिन 19 को सर्वत्र लोग उसका उपयोग स्वयं के लिए करेंगे। ऋषिकेश पंचांग, आदित्य पंचाग, अन्नपूर्णा पंचांग, महावीर पंचांग आदि भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। इसलिए होली की तिथि को लेकर किसी को भी भ्रमित होने की जरूरत नहीं हैं।
(लेखक सहतवार के निवासी व ज्योतिषाचार्य हैं)