बलिया : प्रदेश के पूर्वी छोर का अंतिम जिला बलिया का कामेश्वरधाम कारों अध्यात्म ज्ञान, आनंद व मनोहारी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। बाल्मीकि रामायण के बालकांड के 23वें अध्याय में उल्लेख है कि भगवान शिव ने यहां तपस्या किया था। समाधारित शिव पर देव सेनापति कामदेव ने उनकी समाधि भंग करने की दुस्साहस की। उसी समय शिव का तीसरा नेत्र खुला और कामदेव जलकर भष्म हो गए थे। रामायण काल में ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के साथ उनके यज्ञ की रक्षा के लिए सिद्धाश्रम बक्सर, बिहार जाते समय अयोध्या के राजकुमार श्रीराम व लक्ष्मण ने यहां रात्रि विश्राम किया था। अघोरपंथ के प्रतिष्ठापक स्वामी कीनाराम को संन्यास की प्रथम दीक्षा इसी धाम के महंथ स्वामी शिवाराम ने दिया था।
पर्यटकों की जुटती भीड़
वरिष्ठ साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि इस शिवतीर्थ पर दक्षिण भारत के संत भी महंथ रहे हैं। इस नाते शिव, वैष्णव और अघोरपंथ के भक्तों का यह पवित्र तीर्थ है। पूरे वर्ष संपूर्ण भारत से टूरिस्ट बसों से तीर्थयात्री यहां आते हैं। सावन माह में श्रद्धालु कांवर लेकर भी इस धाम पर पहुंचते हैं। हमेशा धार्मिक अनुष्ठान भी होते रहते हैं।
कारों धाम पर देखने लायक स्थल
यहां अयोध्या की महारानी द्वारा बनवाया गया रानी पोखरा व अयोध्या के राजा कवलेश्वर का ताल, कवलेश्वर झील जिसमें साइबेरियन पक्षी विहार करते हैं, काफी मनोरम है। स्थाणु लिंग विग्रह अद्भुत अलौकिक व केदारनाथ लिंग विग्रह सदृश है। पौराणिक काल का वह आम का वृक्ष जो आज भी हरा भरा खड़ा है। वह स्थान जहां महर्षि विश्वामित्र के साथ श्रीराम व लक्ष्मण ने रात्रि विश्राम किया था।
कारों धाम इस तरह पहुंचे
वाराणसी से 127 किमी की दूरी पर गाजीपुर-हाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर मुहम्मदाबाद-चितबड़ागांव मार्ग पर यह धाम स्थित है। बलिया रेलवे स्टेशन से 19 किमी दूरी पर है। इसका निकटतम रेलवे-स्टेशन ताजपुर डेहमा है। यहां से धाम की दूरी 03 किमी है।