बलिया : महर्षि भृगु के आश्रम की आभा से भी पूरा लोक अलौकिक है। प्रदेश के सबसे पूर्वी भाग में बलिया में विद्यमान भृगु आश्रम प्राचीन काल से ही अपनी अनेक विशेषताओं के लिए प्रख्यात रहा है। महर्षि भृगु ने ही अपने शिष्य दर्दर मुनि के द्वारा सरयू नदी की जलधारा को अयोध्या से मंगाकर बलिया में गंगा सेे संगम कराया था। उस काल खंड में नदी संरक्षण की दिशा में यह बहुत बड़ा काम था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 5000 साल पहले अपने शिष्य के इस कार्य से हर्षित भृगु ने एक विशाल यज्ञ करवाया। यज्ञ में 88 हजार ऋषियों का समागम हुआ था। यहीं पर महर्षि भृगु ने ज्योतिष की विख्यात पुस्तक भृगु संहिता की रचना की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्ययनाथ के प्रयास से अब इस धाम को काशी विश्वनाथ धाम की तरह नव्य-भव्य भृगु मंदिर कारिडोर बनाने की कवायद चल रही है। पूर्वांचल के लोग भारी संख्या में भृगु आश्रम का दर्शन करने के लिए पहुंचते रहते हैं।
पर्यटकों की जुटती भीड़
भृगु आश्रम में पर्यटकों की हर दिन भीड़ जुटती है। हमेशा धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। बलिया शहर के बीच में ही यह आश्रम निर्मित है। उसमें महर्षि भृगु की प्रतिमा और समाधि स्थल भी है। यहां हर दिन हजारों लोग पूजा-अर्चना करते हैं। पूरब के क्षेत्र को भृगु क्षेत्र के नाम से ही जाना जाता है।
भृगु आश्रम ऐसे पहुंचें
वाराणसी से ट्रेन से या सड़क मार्ग से भी भृगु आश्रम आसानी से पहुंचा जा सकता हैं। वाराणसी से आश्रम की दूरी 153 किमी है। स्टेशन से 1.5 किमी आश्रम की दूरी है। सड़क मार्ग से बलिया बस स्टेशन पर उतरने के बाद यहां से दो किमी की दूरी ई-रिक्शा या स्वयं के साधन से तय करनी होगी। यह आश्रम राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के किनारे स्थित है।
हर तरफ मिलता बाटी-चोखा