राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के द्वारा लिखी तीन पुस्तकें पर ‘कलश’, ‘पथ के प्रकाश पुंज’ और ‘सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर’ के बारे में सक्षिप्त बातचीत के अंश…
- एलके सिंह
राज्यसभा के उपसभापति, पत्रकार सह सामाजिक चिंतक हरिवंश नारायण सिंह के द्वारा लिखी तीन पुस्तकें ‘कलश’, ‘पथ के प्रकाश पुंज’ और ‘सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर’ पढ़कर पाठक जान सकते हैं कि कैसे शिखर पर पहुंचे लोग आध्यात्म की ओर चले जाते हैं। कैसे किसी व्यक्ति का संकल्प असंभव को संभव कर सकता है। हरिवंश इधर तीन दिनों तक अपने गांव सिताबदियारा के दलजीत टोला में रहे। सस्नेह तीनों पुस्तकें प्रदान करने के दौरान अपने लेखन के अनुभव को भी साझा किए। उन्होंने बताया कि पहली पुस्तक ‘कलश’ में कुल 32 आलेख हैं। अखबार में काम करते हुए जिन लोगों से उनकी मुलाकात और संवाद होती रही और जिन्हें वे मानते रहे, उसके बारे में उनका निजी अनुभव है। इस काम को करने के लिए उन्हें जिन लोगों से प्रेरणा मिली, उनकी कार्यशैली का भी इस पुस्तक में जिक्र है। इसमें आजादी की लड़ाई में शामिल रहे अच्युत पटवर्धन का नाम सबसे पहले आता है। आजादी मिलने के तत्काल बाद उन्हें लगा कि नए ढंग से जो बातें उन्होंने सोची थी, वह नहीं मिला, तो उन्होंने आध्यात्म को अपना लिया। अर्थशास्त्र के विद्वान एवं लोहिया और जयप्रकाश के करीबी, चिंतक व सलाहकार रहे प्रो. कृष्णनाथ जो बाद में धर्म-आध्यात्म की ओर आर्कषित हुए। इसी तरह गहन तप और साधना के बाद अपने अनुभव को बदलने वाले रामकृष्ण परमानंद, महर्षि अरविंद जैसे विलक्षण क्षमता वाले व्यक्ति के अनुभवों को पहले उन्होंने जाना और पुस्तक में शामिल किया। हरिवंश ने पाठकों से अनुरोध किया कि वे पुस्तक को पढ़ें और जानें कि आखिर क्यों ऐसे लोग शिखर तक पहुंचकर अलग राह में चल दिए।
बेहतरीन काम करने वालों की जीवन यात्रा का जिक्र
हरिवंश ने बताया कि दूसरी पुस्तक ‘पथ के प्रकाश पुंज’ में कुल 27 लेख हैं। इसमें उन लोगों की जीवन यात्रा और कार्य क्षेत्र में किए विलक्षण कामों को लिखा गया है, जिनसे वे सीधे तौर पर प्रभावित हुए। ऐसे लोगों द्वारा शिक्षा, सामाजिक, राजनीतिक, उद्योग, पत्रकारिता आदि में किए गए कार्य शामिल हैं। उन्होंने कहा, जब लोग द्वंद्व, चिंता, भय और संशय की स्थिति में रहते हैं, तो ऐसे लोगों से काफी प्रेरणा मिलती है। किसी व्यक्ति का संकल्प कैसे असंभव को संभव कर सकता है, वह भी इस किताब को पढ़ने के बाद समझा जा सकता है। इसमें स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, लोहिया, बाबा आमटे, जार्ज वाशिंगटन, क्यूरी मैडम (रेडियम खोजने की साहस इनमें देखा जा सकता है), रांची के प्रख्यात डाक्टर रहे केके सिन्हा (डाक्टरी सेवा करने के बाद भी इतिहास और संगीत के इतने बड़े साधक और जानकार), बैंकिंग क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले आरके तलवार जैसे लोगों के अनुभव शामिल हैं।
कैलास मानसरोवर यात्रा और सृष्टि की अनसुलझी बातें
उनकी तीसरी पुस्तक ‘सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर’ में कुल 16 अध्याय हैं। पुस्तक में रांची में स्थित चिन्मय आश्रम में रहने वाले स्वामी माधवानंद जी से मुलाकात और उनके अनुभवों की चर्चा है। उन्होंने बताया कि 2011 में उन्होंने कैलास मानसरोवर यात्रा की थी। कैलास मानसरोवर यात्रा में जिन कठिनाइयों का उन्होंने अनुभव किया, उसका वर्णन है। पुस्तक में कैलास मानसरोवर की स्थिति, इसकी परिक्रमा करने में आने वाली कठिनाई, सृष्टि की वह अनसुलझी बातें आदि का प्रमुखता से जिक्र है।