प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बलिया में स्वास्थ्य व्यवस्था लंबे समय से बदहाल रही है, लेकिन अब हर सुविधा को बेहतर किए जाने से लोगों को काफी सहूलियत हुई है। मेडिकल कालेज बनाने की कवायद भी चल रही है। इससे जिले को एक नई पहचान मिलेगी। सुविधा के अभाव में यहां के लोगों को वाराणसी, लखनऊ या बिहार के पटना में जाकर उपचार करना पड़ता है, लेकिन वर्तमान में हर सुविधा को संजीवनी मिली है। इससे गांव के लोगों का उपचार गांव में ही आसानी से हो जा रहा है। जनपद के सरकारी अस्पतालाें में 276 प्रकार की 96 प्रतिशत दवा की उपलब्धता हैं। साल में केवल दवा पर सात करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
बलिया : जनपद की आबादी लगभग 35 लाख है। इनके उपचार के लिए जिले में 66 न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 14 ब्लाक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 18 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल हैं। नए साल में सोनबरसा, सुखपुरा, रिगवन में 100 बेड के नए अस्पताल को भी चालू करने की तैयारी है। जनपद में चिकित्सकों की कमी थी तो उसे संविदा पर चिकित्सकों की भर्ती कर पूरा किया जा रहा है। मेडिकल कालेज का निर्माण जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और राजकीय इंटर के परिसर को मिलाकर लगभग 11.20 एकड़ भूमि पर होना है। वहां के विद्यालय को जिला कारागार वाले स्थान पर स्थापित करना है, वहीं जिला कारागार को नारायण पाली गांव में करीब 65 एकड़ में भूमि पर स्थानांतरित किया जाना है। तीनों विभाग के बीच पत्रों का आदान प्रदान हो रहा है, जल्द ही भूमिपूजन निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
क्रिटिकल केयर अस्पताल की भी मिली स्वीकृति
जनपद में मेडिकल कालेज के अलावा एक क्रिटिकल केयर अस्पताल बनाने की स्वीकृति भी शासन से मिली है। जमीन तलाशने के लिए शासन से मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जमीन की तलाश की जा रही है। इस अस्पताल का निर्माण होने के बाद गंभीर बीमारी वाले मरीजों को भी जिले में ही उपचार की सुविधा मिलेगी।
जनवरी में ट्रामा सेंटर भी हो जाएगा चालू
जिला अस्पताल परिसर में स्थापित ट्रामा सेंटर को भी चालू करने की कवावद चल रही है। मुख्य चिकित्साधिकारी ने इसे जनवरी में चालू करने को कहा है। इसका निर्माण 1.57 करोड़ रुपये से वर्ष 2016 में पूर्ण हुआ था। इसमें मौजूद आधुनिक आपरेशन कक्ष की मशीनें, जीवनरक्षक अन्य उपकरण व पांच वेंटिलेटर आदि चिकित्सकों के अभाव में बंद थे। इधर लोगों की मांग पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से ट्रामा सेंटर को चालू करने की कवायद तेजी से चल रही है। इसमें चिकित्सक सहित 50 स्टाफ तैनात किए जाएंगे।
102 व 108 एंबुलेंस सेवा अव्वल
जनपद में 102 और 108 नंबर की एंबुलेंसों की संख्या 38-38 है। 108 नंबर एंबुलेंस से सामान्य रोगी अस्पताल पहुंचते हैं और 102 नंबर एंबुलेंस से गंर्भवती महिलाएं अस्पताल पहुंचती हैं। 102 नंबर एंबुलेंस मरीज को अस्पताल से घर भी पहुंचाती है। इस साल में दोनों एंबुलेंस ने 2. 52 लाख 711 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया है। ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के लिए जिले की 76 एंबुलेंस वरदान सिद्ध हो रहीं हैं।
डायलिसिस के लिए नहीं जाना है दूर
जिले में पहले डायलिसिस की सुविधा नहीं थी। इसके लिए मरीजों को गैर जनपद में जाना पड़ता था। अब इसकी व्यवस्था भी कर दी गई है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत जिले में वार्षिक 400 लाभार्थियों की आठ हजार बार डायलिसिस होने की पुष्टि विभाग की ओर से किया गया है। इससे लोगों को सहूलियत हुई है। जिला अस्पताल में सिटी स्कैन की सुविधा भी संचालित है।
चिकित्सा-चिकित्सक आपके द्वार
जिले में चार मोबाइल मेडिकल यूनिट संचालित हैं। एक मोबाइल मेडिकल यूनिट में चिकित्सक सहित कुल छह स्टाफ होते हैं। इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को ज्यादा लाभ मिल रहा है। इससे प्रति माह करीब पांच हजार मरीजों का उपचार उनके घर के पास ही हो जा रहा है। इसमें जांच की भी सुविधा है। लाभार्थियों की संख्या को देखते हुए मोबाइल मेडिकल यूनिट की संख्या नए वर्ष में बढ़ाने पर भी सहमति बनी है।
ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट को करेंगे सक्रिय : सीएमएस
जिला अस्पताल के सीएमएस डा. एसके यादव ने बताया कि अस्पताल में सौ से अधिक मरीज रोज ऐसे आते हैं, जिन्हें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) और प्लेट्लेट्स की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें उपलब्ध नहीं हो पाता। कारण कि यहां खून के चारों कंपोनेंट की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके लिए मरीज और तीमारदार बनारस, प्रयागराज, गोरखपुर और पटना समेत कई महानगरों दौड़ने को विवश हो रहे हैं, लेकिन ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट अब लग चुकी है। नए साल में इसे पूरी तरह सक्रिय कर दिया जाएगा। इससे ब्लड की परत दर परत (लेयर बाई लेयर) रिपोर्ट आ जाएगी। इसके अलावा हार्मोन्स जांच की व्यवस्था भी की जा रही है।
बोले अधिकारी
जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों में 96 प्रतिशत दवा की उपलब्ध है। नए साल में मेडिकल कालेज का निर्माण भी शुरू हो जाएगा। इससे अलग क्रिटिकल केयर अस्पताल की भी स्वीकृति मिली है। उसके लिए जमीन की तलाश चल रही है। उसका निर्माण भी जल्द कराया जाएगा।
डा. विजय पति द्विवेदी, मुख्य चिकित्साधिकारी।