13वां एशिया यूथ इंटरनेशनल माडल संयुक्त राष्ट्र कुआलालंपुर मलेशिया में आयोजित हुआ। इसमें भारत से कुल 28 युवा गए थे। जिसमें धुर्वा रांची टंकी साइड के रवींद्र सिंह के पुत्र साकेत कुमार सिंह ने भी प्रतिभाग किया। वह बेंगलुरू में रहकर पढ़ाई करते हैं। परिवार के लोग रांची और सिताबदियारा में रहते हैं।
बलिया : 13 वां एशिया यूथ इंटरनेशनल माडल संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन कुआलालंपुर मलेशिया में 26 से 29 जनवरी तक आयोजित हुआ था। इसमें भारत से कुल 28 युवा गए थे। जिसमें सिताबदियारा के दलजीत टोला निवासी रवींद्र सिंह के पुत्र साकेत कुमार सिंह ने भी प्रतिभाग किया। वह बेंगलुरू में रहकर पढ़ाई करते हैं। परिवार के लोग रांची और सिताबदियारा में रहते हैं। उन्होंने अरब के देश दोहा कतर का माडल प्रस्तुत किया। यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र का एक शैक्षिक माडल है। इसमें छात्र कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में सीखते हैं। एमयूएन सम्मेलन में, प्रत्येक छात्र एक देश, संगठन या व्यक्ति के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है, और उसे दुनिया भर के अन्य प्रतिनिधियों के साथ समस्या का समाधान करना होता है। साकेत ने दोहा कतर के प्रतिनिधित्व किया और अपने शोध के आधार पर कतर की समस्या, समाधान और अन्य बिंदुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। यह सम्मलेन वहां से वापस आने के बाद साकेत ने बताया कि इसमें 15 से 25 वर्ष के युवा ही भाग ले सकते हैं। इसमें जिस क्षेत्र पर विद्यार्थी शोध किए होते हैं, उस पर अपना माडल प्रस्तुत करना है। प्रतिभागियों को अनुसंधान, सार्वजनिक रूप से बोलना, बहस करना, लिखना, आलोचनात्मक सोच, टीम वर्क और नेतृत्व जैसे कौशल सीखने को मौका मिलता है।
इसका उपयोग आम तौर पर एक पाठ्येतर गतिविधि के रूप में किया जाता है। कुछ स्कूल इसे एक कक्षा के रूप में भी पेश करते हैं। एमयूएन का उद्देश्य छात्रों को संलग्न करना और उन्हें वर्तमान विश्व के मुद्दों और विश्व राजनीति में गहरी समझ विकसित करने की अनुमति देना है। प्रतिनिधि सम्मेलनों से पहले शोध करते हैं। इसमें प्राथमिक विद्यालय से लेकर कालेज या विश्वविद्यालय स्तर तक के छात्रों को शामिल किया जाता है। वहां एशिया यूथ इंटरनेशनल एमयूएन के सचिव जोनास ब्रंस ने साकेत को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। वापस लौटने पर उनकी माता संजू देवी, बब्लू सिंह, विभा सिंह, सुमन सिंह, एलके सिंह, शैलेश सिंह आदि ने भी मिठाई खिलाकर सम्मानित किया।
प्रतिनिधित्व में यह रहा कतर का स्वरूप
कतर के प्रतिनिधित्व में बताया गया कि अरब प्रायद्वीप के उत्तर पूर्वी तट पर स्थित इकलौता क्षेत्रीय प्रायद्वीपीय देश है कतर। इसके दक्षिण में जहां सउदी अरब है, वहीं शेष तीनों ओर फारस की खाड़ी है। एक तेल समृद्ध राष्ट्र के रूप में क़तर दुनिया का दूसरा (प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद) समृद्ध देश है। वर्ष 1783 में कुवैत के अल खलीफ वंश ने यहां शासन करना प्रारम्भ किया। तत्पश्चात यह तुर्की के अधीन रहा।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यह ब्रिटेन के संरक्षण में रहा। 1971 में स्वतंत्रता मिलने के बाद 1972 में खलीफा बिन हमद का शासन प्रारम्भ हुआ। कतर नाम आज के जुबारा नामक शहर के प्राचीन नाम “कतारा” से उत्पन्न हुआ है, जो प्राचीन समय में क्षेत्र का महत्वपूर्ण बंदरगाह और शहर था। कतारा शब्द पोटोल्मी द्वारा बनाए गए अरब प्रायद्वीप के मानचित्र पर पहली बार नजर आया था।