लोकसभा सीट बलिया में टिकट को लेकर इस बार भी सस्पेंस की स्थिति है। इस लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, अनुसूचित जाति, राजभर और भूमिहार जाति के वोटरों की अच्छी तादाद हैं। जाति-धर्म की परवान चढ़ती राजनीति में यहां के वास्तविक मुद्दे चुनाव दर चुनाव गौड़ होते चले जा रहे हैं। गया। लगभग 70 प्रतिशत आबादी आग और पानी (गंगा-घाघरा व टोंस की बाढ़ तथा कटान और आर्सेनिकयुक्त पेयजल) से परेशान है, फिर भी सुरसारूपी यह समस्या कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं बन पाई। इस सीट पर प्रखर समाजवादी चंद्रशेखर आठ बार लोकसभा चुनाव जीते, जबकि उनके पुत्र नीरज शेखर को दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के नीरज शेखर को हराकर भरत सिंह ने पहली बार जनपद को भगवामय किया था। 2019 के चुनाव में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त ने भागवा का परचम लहराया। इस बार यहां भाजपा की हैट्रिक लगाने की तैयारी है, वहीं सपा किसी भी हाल में यह सीट अपने पाले में करने की तैयारी कर रही है।
बलिया : लोकसभा सीट बलिया में टिकट के मामले में कई बार ऐसा भी हुआ है कि नामांकन से चार दिन पहले प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट हुई थी। इस बार भी टिकट को लेकर भाजपा या सपा ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ऐसे में दलगत समर्थकों की बेचैनी बढ़ती जा रही है।
वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में यहां सातवें चरण में 19 मई को मतदान हुआ था। इस बार के चुनाव के तिथि की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन हर दल की ओर से तैयारी तेज है। भाजपा की ओर से प्रदेश के 51 लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं। इसमें आसपास के सीटाें की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है, लेकिन बलिया सीट से फंसी हुई है। इसको लेकर सभी की बेचैनी बढ़ गई है। राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का मानना है कि दलगत शीर्ष नेतृत्व एक-दूसरे की सियासी दांव और जातिगत समीकरण पर नजर रख रहा है। किसी भी एक दल से उम्मीदवार की घोषणा होते ही सभी प्रमुख दल अपना उम्मीदवार घोषित कर देंंगे। जिले के सात विधान सभा क्षेत्र तीन लोक सभा क्षेत्राें में बंटे हैं। बलिया लोक सभा क्षेत्र में बैरिया, सदर, फेफना और गाजीपुर के दो विधान सभा क्षेत्र मुहम्मदाबाद और जहूराबाद है। वर्ष 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में गई थी। सपा से सनातन पांडेय और भाजपा से वीरेंद्र सिह मस्त चुनाव लड़े थे।
चुनावी मैदान में कुल 11 उम्मीदवार थे, लेकिन भाजपा और सपा में ही कांटे की टक्कर थी। कुल 54.3 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें वीरेंद्र सिंह मस्त को 469114 वोट, सपा के सनातन पांडेय को 453575 वोट मिले थे। 15519 वोट से भाजपा उम्मीदवार विजयी रहे थे।
- बलिया लोकसभा क्षेत्र
- 1912864 कुल मतदाता।
- 886316 महिला मतदाता।
- 1026474 पुरुष मतदाता।
- 1057 मतदान केंद्र
- 1996 बूथ।
पिछले चुनाव में ही बढ़ी सपा से चंद्रशेखर परिवार की दूरी
लोकसभा चुनाव में ही सपा और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के परिवार के बीच दूरी बढ़ी थी। चुनाव के बाद राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर सपा से दूरी बना लिए और भाजपा में शामिल हो गए थे।
नीरज शेखर अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद वर्ष 2007 में हुए उपचुनाव में पहली बार सपा से सांसद बने थे। वर्ष 2009 के आम चुनाव में भी वह इस सीट से विजयी रहे। हालांकि वर्ष 2014 के आम चुनाव में वो भरत सिंह से हार गए थे। उसके बाद समाजवादी पार्टी की टिकट पर राज्य सभा सदस्य चुने गए थे। अभी के समय में वह भाजपा से राज्य सभा के सदस्य हैं।