वीरेंद्र सिंह मस्त भारतीय राजनीति के कई स्वरूप को देख चुके हैं। जेपी की संपूर्ण क्रांति आंदोलन हो या बाद की राजनीति। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बाद मस्त बलिया की पहचान चुके हैं। वह भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकरन उनके किरदार की चर्चा सर्वत्र हो रही है। उन्हें वर्ष 1991 से 96 तक, 1998 से 99 तथा 2014-19 और वर्ष 2019 से अब तक तक चार बार सांसद होने का गौरव प्राप्त है। दो बार मीरजापुर व एक बार भदोही लोस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2019 के चुनाव में वीरेंद्र सिंह मस्त को पार्टी ने भदोही से बलिया भेजा था। उस चुनाव में मस्त ने रिकार्ड मत प्राप्त किया था।
बलिया : लोकसभा में डिबेट के दौरान जब नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अभद्र टिप्पणी की तो गुस्से से तमतमाते हुए सत्ता पक्ष के एक सांसद उनकी तरफ दौड़े और तीखे बोल भी बोले। सत्ता पक्ष की तरफ से बोलने वाले उस सांसद का नाम वीरेंद्र सिंह मस्त है और वह बागी बलिया से इस चुनाव तक सांसद हैं। भाजपा में बहुत से वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन संसद में बलिया के तेवर से परिचय कराने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बाद मात्र एक सांसद मस्त थे। उस समय के दृष्य को देश भर के लोगों ने टेलीविजन पर देखा था। पार्टी ने इस बार मस्त को चुनाव लड़ने से मना किया है। उनकी जगह पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के छोटे पुत्र नीरज शेखर को टिकट दिया है, लेकिन चुनावी हलचल के बीच वीरेेंद्र सिंह मस्त को बलिया की जनता नहीं भूल पा रही है। वह पहले ऐसे सांसद हैं, जिनका नाम विकास के साथ जोड़ा जा रहा है। गांव की मिट्टी से जुड़े जमीनी सोंच वाले इस नेता की अपनी एक अलग पहचान है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ राजनीति करने वाले मस्त का नामकरण एक बड़े संत ने किया था। बैरिया विधान सभा क्षेत्र के दोकटी में जब उनका जन्म हुआ तो उनके पिता जी संत मुनिश्वरानंद खपड़िया बाबा के पास गए और उन्हें यह जानकारी दी। खपड़िया बाबा उनके पिताजी के गुरु थे। ऐसे में जब उन्होंने उनके नामकरण की इच्छा जताई ताे संत ने कहा कि इनका नाम मस्त रहेगा। वह 2000 से 2004 तक वे स्वदेशी जागरण मंच के राज्य समन्वयक भी रहे। उन्हें वर्ष 1991 से 96 तक, 1998 से 99 तथा 2014-19 और वर्ष 2019 से अब तक तक चार बार सांसद होने का गौरव प्राप्त है। दो बार मीरजापुर व एक बार भदोही लोस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2019 के चुनाव में वीरेंद्र सिंह मस्त को पार्टी ने भदोही से बलिया भेजा था। उस चुनाव में मस्त ने रिकार्ड मत प्राप्त किया था। उस चुनाव में वीरेंद्र कुल मतदाता कुल मतदाता 1822625 थे। 54 प्रतिशत मतदान हुआ था। वीरेन्द्र सिंह मस्त पड़े मतों में से 47.36 प्रतिशत यानी 469114 मत प्राप्त किए थे। निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के सनातन पांडेय 45.79 प्रतिशत यानी 453595 वोट प्राप्त किए थे। इस चुनाव में सिर्फ भाजपा ने प्रत्याशी बदले हैं, सपा ने पुराने उम्मीदवार पर ही दाव लगाया है। सियासी गोलबंदी दोनों तरफ से हो रही है। कौन बाजी मारेगा, यह मतदाताओं के हाथ में हैं, लेकिन बलिया का सांसद बनने के बाद उन्होंने कई बड़े कार्य किए जो आज हर किसी की जुबान पर है। ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे, चांददियर में बस स्टेशन प्रस्तावित, बलिया रेलवे स्टेशन का कायाकल्प, एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, एनएच-31 का कायाकल्प, सिताबदियारा रोड आदि को देखने के बाद हर कोई उनके कार्योे से खुश है। उसका फायदा भाजपा को अवश्य मिलेगा।
बलिया के लोग मानते हैं कि विकास के दृष्टिगत वीरेंद्र सिंह मस्त ने बलिया में जो ट्रैक बनाया है, उस पर बलिया के दूसरे नेता केवल चलने लगे तो बलिया में हर सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। पार्टी ने कुछ सोच कर उन्हें चुनाव लड़ने से मना किया है। संभव है पार्टी उनके विषय में कुछ और विचार की हो। सियासी हलचल के बीच वर्तमान समय में मस्त की कार्यशैली की चर्चा हर तरफ हो रही है। गांव में रहने के दौरान दरवाजे पर प्रतिदिन सुबह में उनका जनता दरबार लग जाता था। गांव जवार के लोग दरवाजे पर जाकर अपनी समस्याओं को रखते थे, उसका त्वरित निस्तारण भी होता था। विशेष कर किसानों की समस्या पर वह अधिकारियों को कोई क्षमादान नहीं देते थे। ऐसे जननायक को दलों से अलग की सामान्य जनता सदैव याद रखेगी। वीरेंद्र सिंह मस्त भारतीय राजनीति के कई स्वरूप को देख चुके हैं। जेपी की संपूर्ण क्रांति आंदोलन हो या बाद की राजनीति। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बाद मस्त बलिया की पहचान चुके हैं। वह भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनके किरदार की चर्चा सर्वत्र हो रही है।