जेपी जयंती पर हर साल कुछ बेहतर सुविधाओं का उम्मीद लगाए रहते गांव वासी। इस गांव पर सरकारी तंत्र भी नहीं देता ध्यान, शासन स्तर से होती रही उपेक्षा। गांव की कोई भी सुविधा बेहतर हाल में नहीं है।
बलिया टुडे डेस्क : संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 11 अक्टूबर को जयंती है। इस दिवस पर जेपी के गांव को लेकर देश भर के लोगों के दिमाग में एक बात पहले आती है, वह है गांव का विकास। सभी सोचते हैं एक महापुरूष का गांव है, हर तरफ से यह विकसित गांव होगा, लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही है। इस गांव में जेपी के नाम पर भले ही दो स्मारक हैं, इंटर कालेज हैं, पांच हजार पुस्तकों वाला प्रभावती पुस्तकालय है, लेकिन गांव के अंदर का विकास पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के निधन के बाद पहले से भी दस कदम पीछे चला गया है। हम यहां मूलभूम सुविधाएं सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी की व्यवस्था की एक पड़ताल करें तो कोई भी सुविधा यहां बेहतर हाल में नहीं है।
लंबे समय से उखडी पड़ी है सड़क
जेपी के गांव सिताबिदयारा जाने वाली बीएसटी बांध की सड़क लंबे समय से उखड़ी पड़ी है। यूपी-बिहार दोनों सीमा के गांवों की लाइफ लाइन होने के बावजूद इस सड़क का कायाकल्प नहीं हो सका। यह बात अलग है कि इसी सड़क से होकर देश के अलग-अलग स्थानों लोग जेपी का दर्शन करने सिताबदियारा पहुंचतें हैं।
एक शिक्षका पर 700 छात्राओं की जिम्मेदारी
जयप्रकाशगनर में बालिकाओं को पढ़ने के लिए उनकी पत्नी प्रभावती देवी के नाम पर यहां राजकीय बालिका इंटर कालेज है। इसे विज्ञान से मान्यता दी गई है। कक्षा 6 से 12 तक लगभग 700 छात्राएं हैं, लेकिन उनको पढ़ाने के लिए मात्र एक शिक्षका की तैनाती है। वह एक शिक्षिका ही यहां प्रधानाचार्य का कार्य भी संभालती हैं। इसके अलावा ऐडेड विद्यालय जेपी इंटर कालेज में भी मात्र चार शिक्षक हैं। परिषदीय विद्यालय 14 हैं, लेकिन उसके भी पर्याप्त संख्या में बच्चे कभी नहीं दिखते।
अस्पताल पर नहीं मुकमल इंतजाम
इस क्षेत्र के दलजीत टोला में सीएचसी का निर्माण पूर्ण होने के बाद उसका लोकापर्ण 2016 में हुआ था, लेकिन सुविधाएं पीएचसी की तरह ही दी गई है। वहां न तो प्रसव केंद्र है, न ही टीकाकरण केंद्र। अस्पताल में फ्रिजर नहीं होने के चलते एंटी स्नेक वेनम तक का इंतजाम नहीं है। एक चिकित्सक व दो वार्ड व्याय की तैनाती है। बड़ी बात यह कि यहां सीएचसी के नाम पर एक्सरे टेक्नीशियन की तैनाती है, लेकिन लेकिन एक्सरे मशीन नहीं है। चिकित्सालय में आज तक कर्मचारियों एवं रोगियों के लिए शुद्ध जल तक की व्यवस्था नहीं है। लगभग 50 हजार की आबादी के बीच स्थित इस अस्पताल पर हमेशा मरीजों का लोड रहता है, लेकिन विभाग इसकी सुधि कभी नहीं लेता।
पीने योग्य नहीं है पानी टंकी का पानी
इस क्षेत्र के दलजीत टोला में एक पानी टंकी है। इससे संपूर्ण कोड़रहा नौबारा पंचायत में पानी का सप्लाई दिया जाता है, किंतु किसी भी घर के लोग इसका पानी पीने में यूज नहीं करते। वजह कि इस टंकी का पानी काफी हद तक आर्सेनिक युक्त है। आबादी के अनुसार इस टंकी की क्षमता भी काफी कम है। इस वजह से पूरे पंचायत में इसका पानी सही रूप से नहीं मिल पाता।
शासन को लिखती रही पत्र, नहीं लिया संज्ञान
जेपी के गृह पंचायत कोड़रहा नौबरार (जयप्रकाशनगर) की प्रधान रूबी सिंह कहती हैं कि यहां की सुविधाओं को ठीक करने के लिए मै शासन स्तर पर लगातार पत्र भेजती रही, लेकिन यहां की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां के सीएचसी पर कम से कम आठ चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए, लेकिन यहां एक फ्रीजर तक विभाग ने नहीं दिया है। हम वर्ष 2002-03 में जेपी जयंती समारोह को ही याद करें तो तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने इसे आर्दश ग्राम, यूनेस्कों ने इसे हेरिटेज विलेज घोषित कर इसके समुचित विकास का खाका तैयार किया था। इसके अलावा प्रदेश के कई कदावर नेताओं ने भी अपने-अपने स्तर से इस गांव के विकास की इबादत लिखने की बात कही थी, लेकिन उन वादों के मुताबिक इस इलाके की तस्वीर आज तक नहीं संवर सकी। पंचायत स्तर से जितना हो सकता है, मै करने का प्रयास करती हूं, लेकिन शासन स्तर के मामलों में कोई तत्परता नहीं दिख रही।