सजधज कर तैयार हुए देवी मंदिर, घरों में भी पूजा की तैयारी। बाजार में पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए रही चहल-पहल। कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त दोपहर 11:37 से 12:22 तक।
बलिया टुडे डेस्क : शरद नवरात्र हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन व पूजन किया जाएगा। घर-घर कलश स्थापना के साथ ही पाठ किया जाएगा। इसको लेकर बाजारों में खरीददारों की भीड़ भी रही। इस साल कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए देवी मंदिरों में नवरात्र को लेकर विशेष तैयारी की गई है। इस वर्ष का नवरात्र नवदिनी है। नवगौरी के साथ नवदुर्गा का भी पूजन करने का विधान है। नवरात्रि के समय शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंआ, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री के इन नौ रूपों की अराधना की जाती है। आचार्य पंडित ओमप्रकाश चाैबे ताया कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त दोपहर में 11 बजकर 37 मिनट से दिन में 12 बजकर 22 मिनट तक अभिजीत है। अत: इसी अवधि के मध्य कलश स्थापन अधिक शुभ है।
नवरात्र में दुर्गा सत्पशती के पाठ का विशेष महत्व
आचार्य वीरेंद्र चौबे ने बताया कि नवरात्र में दुर्गा सत्पशती के पाठ का विशेष महत्व है। सप्तशती में देवी के प्राकट्य देवताओं द्वारा देवी की स्तुति व पराक्रम का वर्णन है। मां दुर्गा के पूजा में लाल रंगों के फूल का प्रयोग करना शुभ रहता है। ऐसी मान्यता है कि लाल पुष्प जहां रहता है वहां का वातावरण हमेशा उत्साह से भरा रहता है। अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर दिन शनिवार को होगा। नवमी को हवन 24 अक्टूबर को ही दिन में 11 बजकर 22 मिनट के बाद से नवमी तिथि हो जाने पर प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर दिन में 11 बजकर 14 मिनट के पूर्व हवन करना शुभ होगा। अष्टमी व्रत रहने वाले व्रती 25 अक्टूबर को दिन में 11 बजकर 14 मिनट के पूर्व नवमी तिथि रहने पर पारण कर लेंगे। नौ दिन व्रत रहने वाले व्रती दशमी तिथि होने पर 25 अक्टूबर को ही दिन में 11 बजकर 14 मिनट के बाद पारण करेंगे। विजयादशमी 25 अक्टूबर व 26 अक्टूबर को दोनों दिन मनाई जाएगी।