बलिया जिले से ताल्लुक रखने वाले दो नाम हैं। पहला नीरज शेखर तो दूसरा हरिद्वार दुबे। नीरज शेखर को तो सभी लोग जानते हैं लेकिन अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होगा कि हरिद्वार दुबे भी बलिया के ही रहने वाले हैं।
बलिया डेस्क : पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश से आठ प्रत्याशियों के नामों पर पार्टी ने स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें नीरज शेखर का भी नाम है। नीरज के नाम की घोषणा होते ही सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों के जरिए उनके समर्थक अपनी खुशी साझा कर रहे हैं। बलिया जिले से ताल्लुक रखने वाले दो नाम हैं। पहला नीरज शेखर तो दूसरा हरिद्वार दुबे। नीरज शेखर को तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होगा कि हरिद्वार दुबे भी बलिया के ही रहने वाले हैं। बलिया के हुसैनाबाद के मूल निवासी दुबे के नाम की घोषणा होते ही उनके गाव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। हालाकि, काफी समय पहले से वह आगरा रहने लगे हैं। वहां पर कई बार विधायक भी रहे हैं। कल्याण सिंह की सरकार में एक बार मंत्री भी रह चुके हैं। भाजपा के पुराने सिपाही रहे हरिद्वार का कद पार्टी में काफी ऊंचा रहा है। नीरज शेखर की राजनीतिक पारी बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव वाली नहीं रही। उन्होंने 2007 में समाजवादी पार्टी से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के निधन के बाद खाली हुई बलिया सीट से ही लोकसभा उपचुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद 2009 में हुए लोकसभा आम चुनाव में भी दोबारा उच्च सदन में पहुंचे, लेकिन, लोकसभा 2014 में हुए चुनाव में मोदी लहर का शिकार वह भी हो गए और भाजपा के भरत सिंह से चुनाव हार गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उनके कद को गिरने नहीं दिया और उसे बरकरार रखते हुए राज्यसभा में भेजा।
सपा ने टिकट काटा तो थामा भाजपा का दामन
नीरज शेखर के राजनीतिक पारी में एकमात्र हलचल तभी हुई, जब लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। उससे पहले तक नीरज सपा मुखिया अखिलेश यादव के खासमखास में एक माने जाते थे। राज्यसभा में भी वह समाजवादी पार्टी की ओर से भाजपा सरकार पर तीखे हमले करने से चूकते नहीं थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट कटने से आहत नीरज ने सपा से दूरी बनाने का निर्णय ले लिया और लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद ही वह भाजपा का दामन थाम लिए। पार्टी में जाने के बाद भाजपा ने भी उनको राज्यसभा में भेजा। उनके कार्यकाल के खत्म होने के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व में एक बार फिर उनको राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया है। हालांकि दोबारा राज्यसभा में भेजने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे, जिस पर सोमवार को विराम लग गया। उधर, जैसे ही सूची जारी हुई, नीरज शेखर के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर भी एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।