राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश इस बार कुल आठ दिनों तक अपने गांव सिताबदियारा के दलजीत टोला में रहे। इस दौरान उन्होंने गांव-समाज से लेकर देश-दुनिया से जुडे़ कई अहम मुद्दों पर बात की। उपसभापति ने माना कि अब आत्म निर्भर भारत के संकल्प से ही देश के हर क्षेत्र में बदलाव हो सकता है। हमारे देश में संसाधन की कोई कमी नहीं है। सभी को काम करने की आदत डालनी होगी। उप सभापति हरिवंश बोले…पहले से ज्यादा मजबूत हुई सेना, खुद के संसाधन से होगा बदलाव। हथियार के मामले में अब दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा भारत।हमेशा विवादों में रहा दूसरे देशों से हथियार खरीदने का प्रकरण।
- एलके सिंह
बलिया : राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आत्म निर्भर भारत का नारा दिया है। देश में यही एक मात्र रास्ता है, जिसके माध्यम से भारत की तरक्की हो सकती है। इस सपने को साकार किए बगैर, हम रोजगार, शिक्षा, सुरक्षा सहित किसी भी बनुयादी सुविधा में कोई बदलाव नहीं कर सकते। वह अपने गांव सिताबदियारा के दलजीत टोला में बुधवार को जागरण से विशेष बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि वह हथियारों के मामले में आत्म निर्भर बने। अपने देश में 42 Ordnance Factories हैं। ये फैंक्ट्रियां भरपूर संसाधन के साथ अंग्रेज छोड़ गए थे। इसके बावजूद क्या कारण रहा कि भारत आजादी के बाद से दूसरे देशों से ही हथियार खरीदता रहा। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बाद भी हथियार का निर्माण कराने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई। उन 42 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों को जिंदा करने की दिशा में 2014 के बाद से सराहनीय पहल शुरू हुई है। हथियारों के मामले में हमारी सेना मजबूत हो रही है। ऐसी पहल की जरूरत सभी क्षेत्रों में है।
डेढ़ लाख करोड की होती थी कोयले की खरीदारी
उप सभापति ने कहा कि दुनिया भर में कोयला का दूसरा सबसे बड़ा भंडार अपने देश में है। इसके बावजूद प्रतिवर्ष डेढ़ लाख करोड़ के कोयले की खरीदारी बाहर से होती थी। ऐसा क्यों था, पब्लिक सेक्टर चालाने वाले लोगों को देश के ऐसे बड़े मुद्दों पर ज्यादा गंभीर होने की जरूरत है। ऐसा नहीं होने के चलते ही देश के हर क्षेत्र में बड़े भ्रष्टाचार ने जन्म लिया है। अब स्थितियां बदल रही हैं, लेकिन इसमें समय लगेगा।
तत्काल धनी होने की न रखें मंशा
आत्म निर्भर भारत के संकल्प के साथ हमें तत्काल धनी होने की चाह छोड़नी होगी। आत्म निर्भर भारत का मतलब..हमें खुद को बदलना है। आत्म निर्भर बनकर अपने परिवार को आर्थिक संकट से उबारना है। अपना आकलन खुद करना है। आज एक स्नातक का छात्र यदि उस स्तर तक का ज्ञान नहीं रखता तो उसे आत्म मंथन करना चाहिए कि इतने दिनों की पढ़ाई में उसने क्या खोया और क्या पाया।
(लेखक बलिया के वरिष्ठ पत्रकार हैं)