दीपावली का पर्व ज्योति का पर्व है। यह पुरुषार्थ, आत्म साक्षात्कार व अपने भीतर सुषुप्त चेतना को जगाने का भी अनुपम पर्व है। यह हमारे आभामंडल को विशुद्ध और पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देने का पर्व है। इसलिए इस दीपावली हम संकल्प लें कि मिट्टी के दीये में आपसी प्रेम व स्नेह की बाती डालकर पूरे समाज में आपसी एकता का सुगंध बिखेरेंगे।
बलिया डेस्क : दीपावली आपसी सोहार्द का त्योहार है। हमारी आपसी एकता का प्रतीक भी है। दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है जब भीतर का अंधकार दूर हो। हमारे भीतर अज्ञान का तमस छाया हुआ है। वह ज्ञान के प्रकाश से ही मिट सकता है। यह सही है कि जब ज्ञान का दीप जलता है तब भीतर और बाहर दोनों आलोकित हो जाते हैं। यह तभी संभव है, जब हम अपनी पुरानी परंपराओं की ओर लौटेंगे। इस दीपावली गरीब भी अपने घर को रोशन कर सकें, इसलिए मिट्टी के दीयों में आपसी स्नेह की बाती डाल कर हम अपने घर को जगमग करें, यही हमारी पूर्व की परंपरा भी रही है। इस दिशा में लोेगों को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन, खासकर जिलाधिकारी और उनकी पत्नी आकांक्षा समिति की अध्यक्ष पूनम शाही की विशेष पहल देखने को मिली है। दिवाली की पूर्व संध्या पर शहर की मलिन बस्तियों में जाकर हर घर दीया-बाती और तेल का वितरण किया। बनकटा मोहल्ला और आंबेडकरनगर बस्ती में आकांक्षा समिति के अध्यक्षा श्रीमती शाही और उनकी सहयोगी सदस्य शीला यादव हर घर के दरवाजे पर जाकर मिट्टी के दीये भेंअ कर यह संदेश दिया कि सभी को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस बार अपने घर को मिट्टी के दीप से जगमग करना है। उनके साथ एसडीएम सदर राजेश यादव, डिप्टी कलेक्टर सर्वश यादव, नायब तहसीलदार जया सिंह आदि भी साथ रहीं।
मिट्टी के दीयों को बताया घर के लिए शुभ
जिला आकांक्षा समिति की ओर से मोहल्लों की महिलाओं को बताया जा रहा था कि सभी लोग यह स्वीकार करते हैं कि देवी-देवता तक को मिट्टी के दीये ही स्वीकार होेते हैं। मिट्टी के दीयों की खरीदारी से दो फायदे हाेंगे। पहला यह कि आपके घर में देवी लक्ष्मी का स्वागत भी देशी शुद्ध मिट्टी के दीयों से होगा और दूसरा फायदा यह कि मिट्टी के दीयों को बेचने वालों को भी अच्छी आमदनी हो जाएगी। इससे वे भी अपनी दीपावली खुशी-खुशी मना सकेंगे।