गोवर्धन पूजा के मंच पर कभी गीत-गवनई तो कभी नेताओं का भाषण चल रहा था। हर क्षेत्र के सपा कार्यकर्ता पहुंचे थे। भीड़ के बीच बैठे लोग गवनई की चर्चा के साथ बैरिया विधान सभा में बिछ रही राजनीतिक बिसात को भी समझ रहे थे। प्रस्तुत है भीड़ के बीच की बतकही।
दिन के 10 बजे रहे थे। जेपी गांव में गोवर्धन पूजा के मौके पर संगीतमय कार्यक्रम चल रहा था। गायक मंडली के रसदार धुन गांव के लोगों को भी मौके पर पहुंचने को विवश कर रहे थे। गांव के बहोरन इस समय पर हर दिन अपने खेतों की ओर निकल जाते थे, लेकिन आज उनका मन भी गोवर्धन पूजा के कार्यक्रम की ओर था, इसलिए कि कई दिन पहले से सपा के कई नेताओं के जुटान होने का प्रचार माइक से भी कराया जा रहा था। बहोरन कभी गवनई नहीं सुनते, लेकिन गांव में कोई राजनीतिक सभा हो तो उसे छोडते भी नहीं हैं। इसलिए वह अपने एक बुजुर्ग साथी मनराखन के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। यह संयोग ही था कि उनके पहुंचते ही गायकों ने अपना कार्यक्रम बंद कर दिया और नेताओं के मंच से एक कुशल संचालक की आवाज आने लगी, लेकिन सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव के अलावा वे विशिष्ट अतिथि नजर नहीं आ रहे थे, जिनके नामों का प्रचार दो दिनों से गांव में हो रहा था। मंच पर भी उनके फोटो के साथ बड़ा बैनर लगा था। यह देख बहोरन कुछ निराश होते हुए बगल में बैठे गांव के ही जोखन से पूछ बैठै, भाई..बाकी के अतिथि सपा जिलाध्यक्ष राजमंगल यादव, लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी सनातन पांडेय, पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल, पूर्व विधायक सुभाष यादव आदि मंच पर नहीं दिख रहे हैं। वे लोग भाषण देकर चले गए या कार्यक्रम में आए ही नहीं। इस पर जोखन ने जवाब दिया..भइया ये राजनीति है, बाहर से सब एक दिखते हैं, लेकिन अंदर में एक-दूसरे को पटकनी देने के लिए दांव चलते रहते हैं। गोवर्धन पूजा के पोस्टर पर भले ही सपा के सभी नेताओं को एक दिखाया गया, लेकिन ऐसा है नहीं। विधान सभा चुनाव में सभी लोग बैरिया से चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी बिसात बिछा रहे हैं। सभी टिकट के दोवदार भी हैं। ऐसे में कोई अपनी जमीन किसी को आसानी से कैसे दे दे। गोवर्धन पूजा के आयोजकों में जयप्रकाशनगर के निवासी सपा नेता सूर्यभान सिंह भी तो अब सपा से टिकट के दौड़ में हो गए हैं।
यदि मै अखिलेश की जगह होता…
इतना सुनने के बाद बहोरन के साथ गए मनराखन बोल पड़े..भाई टिकट की लड़ाई में बाजी चाहे जिसके हाथ लगे, लेकिन मै सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की जगह होता तो पहले यह देखता कि पब्लिक के असल मुद्दों के साथ कौन खड़ा है। मै तो बैरिया विधान सभा की राजनीति को लंबे समय से देख रहा हूं। अभी के समय में तो इस विधान सभा में और भी आग लगी है। एनएच-31 जैसी सड़क पर उड़ते धूल लोगों की सेहत बिगाड रहे हैं, लेकिन सपा के किसी भी स्थानीय नेता की ओर से इसको बनवाने के लिए अब तक कोई आंदोलन नहीं चला। जेपी के गांव की सड़कें भी लंबे समय से बदहाल है, इसके लिए भी कोई सक्रिय नहीं दिखता। उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार की बात हो या फिर सुविधाओं की, सभी मामलों में हर कोई चुप रहने में ही अपनी भलाई देखता है। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को तभी पूछा जाता है, जब कोई चुनाव आता है। ऐसी स्थिति में यदि मै अखिलेश होता तो टिकट के मामले में समाज के लिए चिंतित रहने वाले किसी युवा को चुनता। उसके बारे में किसी एक जाति से नहीं, विभिन्न जाति के लोगों से फीडबैक लेता। तमाम दावेदारों के प्रति किसके मन में कौन सा भाव है, यह पड़ताल भी करवाता, लेकिन मै अखिलेश तो हूं नहीं, इसलिए अभी सिर्फ गवनई देखना चाहता हूं, लेकिन मुझे जबरिया राजनीतिक भाषण सुनाया जा रहा है। मनराखन की इस बात को सुनने के बाद आसपास बैठे लोग भी ठहाके लगा दिए। उधर मंच से भी वक्ता नीचे बैठे लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे थे।
आ रही थी आवाज..कष्ण ने तोड़ा इंद्र का घमंड
मंच से वक्ताओं की यह आवाज आ रही थी…भगवान कृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ा था। गोकुल वासी पहले इंद्र को ही भगवान मान पूजा करते थे। भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों से इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा, कृष्ण ने सभी को समझाया कि इंद्र देवता में ऐसी क्या शक्ति है जो पानी बरसता है। इससे ज्यादा शक्ति तो इस गोवर्धन पर्वत में है। इसी कारण वर्षा होती है।
हमें इंद्र देवता के स्थान पर इस गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। ब्रजवासी श्रीकृष्ण के बताए अनुसार गोवर्धन की पूजा में जुट गए। अनेक प्रकार के मिष्ठान बना गोवर्धन पर्वत की तलहटी में पहुंचकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। जब यह बात देवराज इंद्र को पता चली तो उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और फिर गुस्से में ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर संपूर्ण गोकुल वासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की थी। काफी देर के बाद इंद्र को भगवान कृष्ण के बारे में जानकारी होती है कि उनका सामना किसी साधारण मनुष्य से नहीं, साक्षात भगवान से हुई है। कुछ ऐसी ही कथा बैरिया विधान सभा में टिकट की राजनीति में भी सामने है। सपा से टिकट के दौड़ में बड़े-बड़े नामी नारायणों के बीच कुछ ऐसे कार्यकर्ता भी कूद चुके हैं, जिसके चलते सभी की बेचैनी बढ गई है। अब पब्लिक यह देखना चाहती है कि सपा के मुखिया बैरिया में पूजा किसकी कराते हैं, बारिश के मालिक भगवान इंद्र की या गोवर्धन पहाड़ की। जय श्री कृष्ण।