लखनऊ : यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गई है। प्रशासनिक स्तर के साथ ही चुनाव लड़ने के दावेदार भी मैदान भी कूद पड़े हैं। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की घोषण होने के बाद अब गांवों में इस बात पर चर्चा हो रही है कि कौन सा गांव आरक्षित होगा और कौन सा नहीं। अभी दावेदार पूरा माहौल इस लिए भी नहीं बना पा रहे हैँ क्योंकि उन्हें यह नहीं मालूम इस वक्त जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित या अनारक्षित है, आगामी चुनाव में वह सीट किस वर्ग के लिए तय होगी। 2015 के पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण नए सिरे से हुआ था। ऐसे में संभावना जताई जा रही है इस बार भी नए सिरे से आरक्षण होगा। वर्ष 2015 के चुनाव के बाद इस बार अब चक्रानुक्रम आरक्षण का यह दूसरा चक्र होगा। चक्रानुक्रम आरक्षण का अर्थ यह है कि आज जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, यथासम्भव अगले चुनाव में वह सीट उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी। चक्रानुक्रम के आरक्षण के वरीयता क्रम में पहला नंबर आएगा एसटी महिला। एसटी की कुल आरक्षित सीटों में से एक तिहाई पद इस वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। फिर बाकी बची एसटी की सीटों में एसटी महिला या पुरुष दोनों के लिए सीटें आरक्षित होंगी। इसी तरह एससी के 21 प्रतिशत आरक्षण में से एक तिहाई सीटे एससी महिला के लिए आरक्षित होंगी और फिर एससी महिला या पुरुष दोनों के लिए। उसके बाद ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में एक तिहाई सीटें ओबीसी महिला के लिए तय होंगी फिर ओबीसी के लिए आरक्षित बाकी सीटें ओबीसी महिला या पुरुष दोनों के लिए और बाकी अनारक्षित। अनारक्षित में भी पहली एक तिहाई सीट महिला के लिए होगी। आरक्षण तय करने का आधार ग्राम पंचायत सदस्य के लिए गांव की आबादी होती है। ग्राम प्रधान का आरक्षण तय करने के लिए पूरे ब्लाक की आबादी आधार बनती है। ब्लाक में आरक्षण तय करने का आधार जिले की आबादी और जिला पंचायत में आरक्षण का आधार प्रदेश की आबादी बनती है।
अवरोही क्रम की गणित
किसी एक विकास खंड में 100 ग्राम पंचायतें हैं। वहां 2015 के चुनाव में शुरू 27 ग्राम प्रधान पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए गए थे। अब इस बार के पंचायत चुनाव में इन 27 के आगे वाली ग्राम पंचायतों के आबादी के अवरोही क्रम में (घटती हुई आबादी) प्रधान पद आरक्षित होंगे। इसी तरह अगर किसी एक विकास खंड में 100 ग्राम पंचायतें हैं और वहां 2015 के चुनाव में शुरू की 21 ग्राम पंचायतों के प्रधान के पद एससी के लिए आरक्षित हुए थे तो अब इन 21 पदों से आगे वाली ग्राम पंचायतों के पद अवरोही क्रम में एससी के लिए आरक्षित होंगे।
नए सिरे से आरक्षण की नहीं बनती संभावना
पंचायतीराज विभाग के एक पूर्व परिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि 2015 के पिछले पंचायत चुनाव में हाईकोर्ट ने कहा था कि चूंकि सीटों का आरक्षण का चक्र लगभग पूरा हो चुका है, अब नए सिरे से आरक्षण का निर्धारण किया जा सकता है। इसलिए 2015 में नए सिरे से आरक्षण तय किया गया। अब इस बार प्रदेश सरकार को फिर नए सिरे से आरक्षण तय तो नहीं करना चाहिए। नए सिरे से आरक्षण तय करने का आधार सिर्फ एक ही हो सकता है, जब बड़ी संख्या में नई ग्राम पंचायतें बन गई हों, ऐसा इस बार हुआ नहीं है।