सरकार के तीनों कृषि कानून से मंडी की व्यवस्था ही खत्म हो जाएगी। इससे किसानों को नुकसान होगा और कॉरपोरेट और बिचौलियों को फायदा होगा। वे मंडी से बाहर ही किसानों से औने पौने दामों पर उनकी फसल खरीद लेंगे और एमएसपी का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।
बलिया डेस्क : किसानों के आंदोलन को लेकर यूपी में भी राजनीतिक जमीन गरम होने लगी है। समाजवादी पार्टी मजबूती से किसानों के साथ खड़ी है। वहीं भाजपा के लोग इस आंदोलन का विफल करने के लिए इंटरनेट मीडिया में किसानों के विरोध में मुहिम चला रहे हैं। बलिया में बैरिया विधान सभा के सपा नेता सूर्यभान सिंह ने कहा है कि यह सरकार किसानों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रही है। किसानों के समर्थन में समाजवादी पार्टी 14 दिसंबर से अपना आंदोलन और भी तेज करेगी। उन्होंने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि देश के सामान्य मानसिकता के लोग भी मान रहे हैं सरकार अभी चाहे जितनी मनमानी कर ले, लेकिन सरकार को समझना होगा कि किसान हमारे पालनहार हैं। उनको नाराज कर देश आगे नहीं बढ़ सकता। वह अपने आंदोलन में हर हाल में कामयाब होंगे। सरकार के तीनों कृषि कानून से मंडी की व्यवस्था ही खत्म हो जाएगी। इससे किसानों को नुकसान होगा और कॉरपोरेट और बिचौलियों को फायदा होगा। वे मंडी से बाहर ही किसानों से औने पौने दामों पर उनकी फसल खरीद लेंगे और एमएसपी का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। इसके अलावा मंडी में कार्य करने वाले लाखों व्यक्तियों के जीवन-निर्वाह का क्या होगा।
किसानों की हमदर्द है सरकार तो क्यों नहीं मान रही बात
सपा नेता सूर्यभान सिंह कहते हैं कि भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि उनकी सरकार किसानों की हमदर्द है। किसानों के फयादे के लिए ही योजनाएं लागू कर रही है। यदि वास्तव में ऐसा है तो किसानों की बात सरकार क्यों नहीं मान रही है। देश में कोई भी कानून देश के लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। किसान यदि इस कानून से खुश नहीं हैं तो जबरिया यह कानून थोपना कहां तक उचित है। भाजपा के लोगों को याद होगा 1975 के दरम्यान जेपी का वह आंदोलन। उस वक्त भी केंद्र सरकार की तानाशाही के जवाब में देश भर के लोग उठ खड़े हुए थे। बिहार में छात्र आंदोलन से शुरू हुआ वह आंदोलन जेपी के नेतृत्व में देश व्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया था। देश के हालात ऐसे हो चले थे कि केंद्र सरकार को देश में अपातकाल तक लागू करना पड़ा। मीडिया पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए। तब भी केंद्र सरकार जन आंदोलन के सामने नहीं झुकना चाहती थी, आज की सरकार भी कुछ उसी अंदाज में अंदोलनकारियों से व्यवहार कर रही है। भाजपा के नेताओं को लगता है कि किसानों से ज्यादा देश के अन्य लोग सरकार के पक्ष में हैं। किसान आंदोलन कामयाब नहीं होगा, लेकिन यूपी में किसान आंदोलन के पक्ष में केवल समाजवादी पार्टी ही नहीं, किसान और सामान्य लोग भी लामबंद होते दिख रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो देश के लोगों की इस बगावत को केंद्र सरकार नहीं झेल पाएगी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार कर रहे ट्वीट
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि किसान आंदोलन भारत के इस लोकतांत्रिक मूल्य की पुनर्स्थापना का भी आंदोलन है। सरकार के सभी फैसलों में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए। सरकार की मनमानी नहीं। इसीलिए भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए देश का हर नागरिक भी आज ‘किसान आंदोलन’ के साथ भावात्मक रूप से जुड़ता जा रहा है।
‘किसान आंदोलन’ भारत के इस लोकतांत्रिक मूल्य की पुनर्स्थापना का भी आंदोलन है कि सरकार के सभी फैसलों में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए; सरकार की मनमानी नहीं.
इसीलिए भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए देश का हर नागरिक भी आज ‘किसान आंदोलन’ के साथ भावात्मक रूप से जुड़ता जा रहा है. pic.twitter.com/tLc2SPIwP2
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 10, 2020
सरकार की ओर से कृषि कानून को फायदेमंद बताया जा रहा
कृषि से जुड़े तीनों विधेयकों में पहला-कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, दूसरा-आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन, तीसरा-मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश। इन तीनों अध्यादेश के बारे में किसान गहन अध्ययन कर चुके हैं। केंद्र सरकार किसानों को अपने एंगल से समझाकर यह बताने में लगी है कि इन कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होगा। पहला यह कि इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं। इस अध्यादेश में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है। दूसरा फायदा यह कि सरकार किसानों से धान-गेहूं की खरीद पहले की ही तरह करती रहेगी और किसानों को एमएसपी का लाभ पहले की तरह देती रहेगी। तीसरा फायदा यह बताया जा रहा है कि किसान मंडी के साथ-साथ मंडी से बाहर भी अपनी उपज भेज सकते हैं। सवाल यह कि जब सब ठीक ही है तो इतना बड़ा आंदोलन किस वजह से हो रहा है।