बोले सांसद मस्त-आढ़तियों और विपक्ष के भ्रम जाल में भ्रमित है पंजाब व हरियाणा के किसान। किसान अपना उत्पाद मंडी में भी भेज सकता है, और मंडी के बाहर भी। जहां उसे उपयुक्त कीमत मिले वह बेचने को स्वतंत्र है। दो तिहाई बहुमत वाली सरकार के सामने कृषि कानून वापस लेने की जिद करना उचित नहीं।
बलिया : दिल्ली किसान आंदोलन का समाधान सरकार से वार्ता से ही हो सकता है। सरकार ने किसानों से वार्ता के सारे विकल्प खुले रखे हैं। दिल्ली किसान आंदोलन के बहाने पश्चिमी बंगाल चुनाव में विपक्ष संभावना तलाश रही है। कुछ अढ़तिए और विपक्ष साजिश के तहत किसानों को भ्रमित किए हुए हैं, लेकिन भारतीय किसानों को ज्यादा समय तक नहीं भ्रमित किया जा सकता। सच तो यह है कि वार्ता से ही हल निकलेगा। यह बातें भाजपा राष्ट्रीय किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कही। वह सोमवार को अपने संसदीय कार्यालय सोनबरसा बैरिया में पत्रकारों से मुखातिब थे। सांसद मस्त ने कहा कि पश्चिमी बंगाल में भाजपा की सरकार बनने जा रही है तो दिल्ली में तनाव बढ़ाकर वह बंगाल में अपनी दुकान चलाना चाह रहे हैं। भारत के किसानों को बहुत दिनों तक भरमाया नहीं जा सकता। उनका भ्रम टूटेगा। सांसद आवाहन किया है कि सरकार से संवाद बनाए रखें। जितनी मांगे हैं, जो शंका है, उसके समाधान के लिए सरकार तैयार है। हमने मंडी कानून नहीं बदला है। किसान अपना उत्पाद मंडी में भी भेज सकता है, और मंडी के बाहर भी। जहां उसे उपयुक्त कीमत मिले वह बेचने को स्वतंत्र है। एमएसपी कानूनी तौर पर बना हुआ है। संसद में जब प्रधानमंत्री बोलते हैं कृषि मंत्री बोलते हैं और सांसद बोलते हैं वह संसद में रिकॉर्ड होता है। वहां से भी लिखित प्रमाण मिल सकता है। फिर लिखकर देने की किसानों की जिद कैसी। इसके बाद भी सरकार लिखित देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज भी जो कांटेक्ट खेती करेगा, उसका खेत पर मालिकाना हक नहीं होगा। खसरा खतौनी में जमीन के मालिक का ही नाम रहेगा। कांटेक्ट खेती वाले का नहीं। यह बात किसानों को समझने की जरूरत है। किसान कानून वापस लेने की जिद कर रहे हैं, यह उचित नहीं है।