कृषि काननू से किसानों का भला होना है। अन्नदाता इस बात को समझ भी रहे हैं। संसद में स्वयं मुलायम सिंह यादव ने इस कानून का समर्थन किया था। हमेशा किसानों के हित की बात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सहित देश के जितने भी किसान नेता रहे, वह इस बात के पक्षधर रहे कि किसानों को स्वतंत्र रखा जाए। हमारी सरकार उनके विचारों पर ही काम कर रही है। आज विपक्ष इस काननू को लेेकर आंदोलन कर रहा है।लाेकतंत्र है, आंदोलन करने का अधिकार सभी को है्, लेकिन कृषि कानून को लेकर विपक्ष का अंदोलन सही दिशा में नहीं है। कृषि कानून व किसान आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा सांसद व राष्ट्रीय किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त ने बिंदुवार बात की।
बलिया : किसानों के हित में संसद में आवाज बुलंद करने वाले सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि पंजाब हरियाणा के किसानों की अलग समस्या है, यूपी व अन्य राज्यों के किसानों की अलग। इस कानून ने किसानों को स्वतंत्र कर दिया गया है। वह अपने उत्पाद देश में कहीं भी ले जाकर बेच सकते हैं। सरकार ने मंडी कानून नहीं बदला है। किसान अपना उत्पाद मंडी में भी भेज सकते हैं, मंडी के बाहर भी। किसानों को जहां भी उपयुक्त कीमत मिले, वह अपना उत्पाद बेचने को स्वतंत्र है। इस कानून को लेकर विपक्ष की बातों से गुमराह न हों किसान।
एमएसपी नहीं हो रहा खत्म
कृषि कानून कानूनी तौर पर बना हुआ है। संसद में जब प्रधानमंत्री बोलते हैं, कृषि मंत्री बोलते हैं या सांसद बोलते हैं ताे वह संसद में रिकॉर्ड होता है। वहां से भी लिखित प्रमाण मिल सकता है। किसानों की जिद पर सरकार सभी बातों को लिखित देने को भी तैयार है। सरकार एमएसपी नहीं बंद करेंगी। हर साल एमएसपी हम बढ़ाने वाले हैं। ऐसे में यह कृषि कानून किसान विरोधी कैसे हो सकता है।
लगान या बटैया खेती करने वाले कैसे ले लेंगे खेत
श्री मस्त ने कांट्रैक्ट कांट्रैक्ट फार्मिंग पर भी आसान भाषा में कहा कि यह परंपरा हर गांव में पहले से है। जिन किसानों के पास कम खेेत होते हैं वह अपने की गांव के दूसरे किसानों का खेत एक साल के लिए ले लेते हैं। फिर अगले साल उस खेत को दूसरे किसान लेतेे हैं। किसानों को यह बात समझना चाहिए कि लगान या बटैया पर खेती करने वाले किसान किसी के खसरा, खतौनी में अपना नाम कैसे चढ़वा सकते हैं। इस तरह की बातों से किसानों को गुमराह किया जा रहा है।
हर मायने में किसानों के साथ है सरकार
श्री मस्त ने कहा कि सरकार हर मायने में किसानों के साथ है। अब तक किसानों के शोषण में दलालों तथा बिचौलियों का रोल होता था। सरकार उसे पूरा खत्म करना चाहती है। इसी तरह के बिचौलिए किस्म के लोग कृषि कानून के संबंध में किसानों को गुमराह कर रहे हैं। हमारी सरकार किसानों का अहित कैसे कर सकती हैं, जो सरकार हर साल किसानों के खाते में 6000 रुपये आर्थिक मदद दे रही है। हर घर के किसान इसका लाभ ले रहे हैं। यूपी में मक्का का समर्थन मूल्य 1850 रुपये, धान का समर्थन मूल्य भी 1750 रुपये प्रति कुंटल का लाभ किसान ले रहे हैं। इसके अलावा भी किसानों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। ऐसे में राजनीतिक दलों का आंदोलन किसानों के पक्ष में नहीं कहा जा सकता। किसानों की आड़ में विपक्ष के लोग अपनी जमीन तलाश रहे हैं। उन्हें यह समझना होगा कि देश के लोगों ने भाजपा पर भरोसा किया है। भाजपा सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ काम कर रही है।