देश के कई हिस्सों के किसान बोट क्लब या दिल्ली में नहीं बल्कि अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर संविधान दिवस से डटे हुए हैं। उनको देश के कई हिस्सों से समर्थन मिल रहा है। वे अलग अंदाज में किसान आंदोलन के बीच पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती मना रहे हैं तो सरकार अलग अंदाज में। यूपी में सपा भी इस दिवस से किसानों के समर्थन में अलग अंदाज में मैदान में कूदने के मूड में है।
बलिया : देश के एक प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जिन्होंने माना था कि भारत में ग्रामीण और शहरी दो संसार हैं, ग्रामीण जनसमूह ही असली भारत है देश की राजधानी नई दिल्ली में हजारों की संख्या में किसान लगभग एक महीने से अपनी कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और 23 दिसंबर को हम हर साल किसान दिवस भी मनाते हैं।
ऐसे में इस किसान दिवस पर बात उनकी जिनकी अगुवाई में किसानों ने 42 साल पहले दिल्ली में अपनी ताकत का अहसास कराया था। 23 दिसंबर 1978 में आज से 42 साल पहले राजधानी में बोट क्लब पर ठिठुरन के बीच किसानों के विशाल जमावड़े को देख दुनिया चौंक गई थी। भारत की किसान शक्ति से दिल्ली ने राजनीतिक गरमी भी ला दी थी। किसानों का यह जमावड़ा चौधरी चरण सिंह के जन्म दिन पर हुआ था। तभी से 23 दिसंबर को उनके जन्म दिन को किसान दिवस के रूप में मनाने का सिलसिला शुरू हुआ। किसान ही नहीं भारत सरकार भी 23 दिसंबर को किसान दिवस के अलावा 23 से 29 दिसंबर के बीच जय जवान जय किसान सप्ताह भी मनाती है, लेकिन 2020 का किसान दिवस और चौधरी साहब की 118वीं जयंती कुछ अलग है। देश के कई हिस्सों के किसान बोट क्लब या दिल्ली में नहीं बल्कि अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर संविधान दिवस से डटे हुए हैं। उनको देश के कई हिस्सों से समर्थन मिल रहा है। वे अलग अंदाज में किसान आंदोलन के बीच किसान दिवस मना रहे हैं तो सरकार अलग अंदाज में। यूपी में समाजवादी पार्टी भी इस दिवस से किसानों के समर्थन में अलग अंदाज में मैदान में कूदने के मूड में है।
समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन का अलग प्लान
Farmers Protest Against Agriculture Bill समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी अब किसानों के आंदोलन के समर्थन में गांवों का रुख करेगी। इसमें समाजवादी पार्टी की सारी जिला और महानगर इकाइयां गांवों की यात्रा करेंगी। समाजवादी पार्टी के नेता किसानों को मौजूदा कृषि कानून की खामियों के बारे में बताएंगे। किसान आंदोलन को लेकर अखिलेश यादव लगातार केंद्र तथा राज्य सरकार पर निशाना साध रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा भाजपा ने कृषि कानून बनाने से पहले किसानों को खबर तक न होनी दी। अब यह लोग किसान सम्मेलन करके इसके लाभ समझाने का ढोंग कर रहे हैं। किसानों को सच्चा लाभ स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू होने से होगा। तभी इनकी आय दोगुनी हो सकती है। भाजपा सरकार का कृषि कानून नहीं, भाजपा का शिकंजा है।
चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन!
आज भाजपा के राज में देश के इतिहास में एक ऐसा ‘किसान दिवस’ आया है, जब उत्सव के स्थान पर देश का किसान सड़कों पर संघर्ष करने पर मजबूर है.
भाजपा किसानों का अपमान करना छोड़े क्योंकि ‘देश का किसान, भारत का है मान’.#किसान_दिवस pic.twitter.com/dHrJAtZPFY
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 23, 2020
गांव के किसानों को बताएंगे कृषि कानून की खामियां : सूर्यभान सिंह
बैरिया विधान सभा के सपा नेता सूर्यभान सिंह ने कहा कि आज चौधरी चरण सिंह की जयंती है। 23 दिसंबर 1978 में आज से 42 साल पहले राजधानी में बोट क्लब पर ठिठुरन के बीच किसानों के विशाल जमावड़े को देख दुनिया चौंक गई थी। दिल्ली की किसान रैली के माध्यम से चौधरी चरण सिंह ने देश के किसानों में अभूतपूर्व जागृति पैदा की थी। उन्होंने किसानों को आंदोलन रास्ता दिखाया। हम सपा के लोग भी आज से गांवों में जाकर किसानों को कृषि कानून की खामियों के विषय में बताएंगे। किसानों को हमारा समर्थन जारी रहेगा। हमारे मुखिया अखिलेश यादव जी का यह निर्देश है कि हम गांवों में किसानों को कृषि कानून की खामियों से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह अपनी राजनीति के आरंभिक दिनों में ही यह मांग करते रहे कि सर्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में किसानों के बच्चों को पचास फीसद आरक्षण मिले, लेकिन कभी भी केंद्र सरकार ने इस पर बहस तक नहीं किया। आज केंद्र सरकार चौधरी चरण सिंह की जयंती पर के उनके आदर्शों को अपनाने की बात कह रही है, लेकिन सरकार बोलती कुछ और करती कुछ है। इस बात को अब देश के सभी लोग जान चुके हैं।