बीएचयू में ह्यूमैनिटीज और लोकतंत्र की बेहतर शिक्षा देने के लिए जल्द ही सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा देश के पहले जयप्रकाश नारायण नेशनल सेंटर फार एक्सीलेंस इन ह्यूमैनिटीज की शुरुआत होगी। इसमें ह्यूमैनिटीज अर्थात मानव विकास से संबंधित विषयों पर शोध और अनुसंधान होगा।
वाराणसी : बीएचयू में ह्यूमैनिटीज और लोकतंत्र की बेहतर शिक्षा देने के लिए जल्द ही सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा जयप्रकाश नारायण नेशनल सेंटर फार एक्सीलेंस इन ह्यूमैनिटीज की शुरुआत होगी। इसमें ह्यूमैनिटीज अर्थात मानव विकास से संबंधित विषयों पर शोध और अनुसंधान होगा। इसके अलावा दो-वर्षीय एमए कोर्स के तहत छात्रों में लोकतांत्रिक मूल्यों का समावेश करने की बात कही जा रही है, जिसमें जयप्रकाश नारायण के विचारों समेत दुनिया भर के तमाम राजनीतिक चतकों के सिद्धांतों पर अध्ययन और शोध कार्य किए जाएंगे। इस सेंटर को बीएचयू में स्थापित करने करने की बात सबसे पहले भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 के केंद्रीय बजट में कही गई थी, लेकिन उस समय बीएचयू ने सक्रियता नहीं दिखाई और इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका। मगर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीते साल 30 दिसंबर को पुन: एक पत्र बीएचयू कुलपति को जारी कर सेंटर को स्थापित करने विषयक सुझाव की याद दिलाई, जिसके बाद विश्वविद्यालय में सेंटर को संचालित करने की कवायद शुरू हो गई।
मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
मंत्रालय ने 17 जनवरी तक सेंटर के प्रस्ताव व प्रारूप की विस्तारित रिपोर्ट मांगी है, जिसे सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. कौशल किशोर मिश्रा तैयार कर रहे हैं। प्रो. मिश्रा ने बताया कि इस सेंटर के लिए नौ करोड़ सत्तर लाख रुपये का बजट वर्ष 2014-15 में दिया गया था, लेकिन तब से अब तक कोई कार्य यहां आगे नहीं बढ़ सका। अब भारत सरकार के सहयोग से इस सेंटर को बेहतर ढंग से संचालित किया जाएगा, जिसमें कोष को बढ़ाकर करीब पचास करोड़ रुपये तक किया जा सकता है।
जयप्रकाश जी से सीख सकते हैं छात्र
जयप्रकाश नारायण सबसे पहले क्रांतिकारी, फिर सिद्धांतकार, समाजशास्त्री, राजनेता और अंत में लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में सामने आए, जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। मगर देश के एकेडमिक जगत ने कोई अपेक्षित कार्य अब तक इस क्षेत्र में नहीं किया। प्रो. मिश्रा ने बताया कि इसके तहत चलने वाले पाठ्यक्रम में ह्यूमैनिटीज को मुख्य आधार बनाया गया है, जिसमें अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, सामाजिक शास्त्र, फैशन, स्टडीज, हिंदी और संस्कृत को शामिल किया गया है। प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय समेत बीएचयू के एकेडमिक काउंसिल और उसके बाद कार्यकारिणी परिषद में रखा जाएगा, जहां से पारित होकर सेंटर अपने स्वरूप में आ जाएगा।