बलिया : मंकर संक्रांति को लेकर नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में तिलकुट, चिउरा व गुड़ की दुकानें सज गई हैं। घर-घर के लोग खरीदारी कर रहे हैं। इस बार मंकर संक्राति की तिथि को लेकर कोई संशय नहीं है। मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी। मकर संक्रांति को सूर्य के संक्रमण का त्योहार माना जाता है। सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। यह परिवर्तन एक बार आता है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है कि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन हो जाते हैं। उत्तरायन देवताओं का दिन माना जाता है। मकर संक्राति पर गंगा और सरयू नदी में स्नान का रेला रहेगा। मंगलवार से ठंड में अचानक इजाफा हो गया है, इसके बावजूद भारी संख्या में नदी स्नान की तैयारी में सभी लोग हैं।
तिलकुट व तिलवा की खूब हो रही बिक्री
नगर के बाजाराें में तिलवा और तिलकुट की बिक्री खूब हो रही है। 80 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किग्रा तिलवा बिक रहा है तो अलग-अलग किस्म के तिलकुट 250 से 400 रुपये प्रति किग्रा की दर से बिक रहे हैं। भुजा हुआ चिउरा 40 से 50 रुपये प्रति किग्रा के भाव से बिक रहा है तो सादा चिउरा की कीमत 35 से 60 रुपये प्रति किग्रा है। गुड़ में अलग-अलग वेराइटी होने के कारण इसका रेट 40 से 50 रुपये रखा गया है।
सुबह 6 बजे से कर सकते स्नान
आचार्य पंडित गोरख नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य 2 बजकर 37 मिनट पर धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इससे आठ घंटे पूर्व और आठ घंटे बाद तक पुण्काल रहेगा। ऐसे में सुबह 6 बजकर 37 मिनट से ही स्नान कर पूजा-पाठ किया जा सकता है।
पतंगबाजी की भी है परंपरा
मकर संक्रांति के पर्व में पतंग उड़ाने की भी परंपरा रही है। हर उम्र के लोग पूरे जोश और मस्ती से पतंग उड़ाते हैं, बल्कि कई जगहों पर तो पतंगोत्सव का एक भव्य आयोजन भी किया जाता है। इस दिन और भी कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। हलांकि अब पहले की तरह सयाने लोग पंतग नहीं उड़ा रहे हैं लेकिन बच्चे उस परंपरा को आज भी जिंदा रखे हैं। बच्चों की ओर से पहले से ही पंतगबाजी की तैयारी चल रही है।