रानीगंज के देवकी छपरा में 17 साल की परंपरा को कायम रखते हुए खपडि़या बाबा आश्रम के परम पूज्य संत स्वामी हरिहरानंद जी महराज संतोष सोनी के दरवाजे पर 24 घंटे के अखंड कीर्तन के बाद इस साल भी पहुंचे। वहां मौजूद श्रद्धालुओं को कलियुग में जीने के लिए हरिनाम संकीर्तन का मंत्र दिया। यह भी बताया कि इस महामंत्र में भगवान की सारी शक्तियां समाहित हैं।
- सुनील पांडेय, बैरिया
परम पूज्य संत स्वामी हरिहरानंद जी महराज ने कहा कि मन की सरलता वाले व्यक्ति ही भगवान को अधिक प्रिय होते हैं। भगवान का भजन उसी व्यक्ति को फलदायी होते हैं, जिसका मन छल और कपट से रहित होता है। ऐसे व्यक्ति भगवन्न नाम संकीर्तन से असंभव से असंभव कार्यों की सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। वह देवकी छपरा रानीगंज बाजार स्थित संतोष सोनी के दरवाजे पर 24 घंटे के अखंड कीर्तन के बाद वहां मौजूद श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
यहां यह परंपरा विगत 17 वर्ष से चल रही है। इस साल भी मकर संक्रांति के दिन हरिहरानंद जी का यहां पदापर्ण हुआ। उन्होंने कहा कि वेद-पूराण अथवा रामचरितमानस में ऐसे कई प्रमाण मिलते हैं। जिसमें कहा गया है, कि कलियुग में मुक्ति पाने अथवा दैहिक-दैविक व भैतिक सुखों को सिर्फ और सिर्फ भगवन्ननाम संकीर्तन से ही प्राप्त किया जा सकता है। आज समाज के प्रत्येक व्यक्ति को रामचरितमानस की प्रत्येक चौपाई, का गहराई से अध्ययन करना चाहिए। वर्तमान समय में अपनी संस्कृति और भाषा से आमलोगों की रूची घटती जा रही है और शायद इसी दृष्टिकोण से तुलसीदासजी ने रामचरितमानस की रचना सरल भाषा में की है। इस कलियुग में भगवान की उपस्थिति नहीं होने की दशा में भगवान के नाम में ही विशेष शक्तियां प्रदान की गई है।
अनजाने में भी भगवान का नाम लेने से मिलता है फल
स्वामी जी ने कहा कि कोई व्यक्ति भगवान की शक्ति को माने या न माने, जाने या न जाने, भगवान का नाम ले या न ले, वह भूल वश भी यदि राम-नाम का जप अनजाने में भी कर लेता है तो उसे सदगति की प्राप्ति होती है। बाल्मिकी जी जैसा दस्यु मरा-मरा कहते हुए राम का नाम जपने लगे और उन पर प्रभु की विशेष कृपा हो गई। इसलिए राम-नाम की महिमा असीमित है। इसकी महिमा का बखान करते-करते वक्ता थक जाएंगे किंतु बखान खत्म नहीं होगा। उन्होंने हरे राम, हरे कृष्ण की सोलह अक्षरीय महामंत्र और हनुमान चालीसा पर व्यापक प्रकाश डालते हुए कहा कि इनके भजन व पाठ से व्यक्ति क्या नहीं हासिल कर सकता। वह दुनिया का हर भौतिक सुख व मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। बड़े भाग्य से मनुष्य तन की प्राप्ति होती है। इसलिए ईश्वर के भजन के बिना मनुष्य का तन पूरी तरह व्यर्थ हो जाता है। प्रवचन से पूर्व हनुमान चालीसा के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उनकी आरती की। इस मौके पर हजारों भक्तों ने प्रसाद भी ग्रहण किया। स्वर्णकार संतोष सोनी के परिवार के अन्य लोगों में श्याम बिहारी सर्राफ, विनोद सर्राफ, संदेश सर्राफ, गणेश, सचिन, विनायक, सोनू सहित कई युवाओं ने आयोजन में सराहनीय भूमिका निभाई।