त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो चलीं हैं। परिसीमन भी हो चुका है लेकिन अभी आरक्षण स्पष्ट नहीं हुआ है। नए परिसीमन में जिला पंचायत का एक वार्ड कम हुआ है। बैरिया, नगरा व रतसर के नगर पंचायत होने से जिले में क्षेत्र पंचायत सदस्य के भी 33 वार्ड कम हुए हैं। 2015 में 2121816 मतदाता थे लेकिन अब 2314288 मतदाता हैं। अभी अपत्तियों के निस्तारण का सिलसिला जारी है। ऐसे में मतदाता कुछ और बढ़ सकते हैं। अब सभी की निगाहें आरक्षण पर टिकी हुई है। बहुत से संभावित उम्मीदवार पहले से ही वोट पाने की जुगत में जनता पर काफी धन खर्च कर रहे हैं। संभव है आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के बाद उनकी पूरी गणित ही फेल हो जाए।
बलिया : पंचायत चुनाव को लेकर परिसीमन का कार्य पूर्ण हो चुका है। जिले का आंकड़ा देखा जाए तो यहां जिला पंचायत का एक वार्ड कम हुआ है। इस चुनाव में ग्राम पंचायतों की संख्या भी 949 से घटकर 940 हो गई है। क्षेत्र पंचायत के 33 वार्ड व ग्राम पंचायत सदस्य स्तर के 115 वार्ड कम हुए हैं। परिसीमन से कई इलाकों के चुनावी समीकरण बदल गए हैं। जिला पंचायत का एक वार्ड कम हुआ है। पहले रहे 59 वार्ड थे अब 58 हो गए हैं।
बलिया में अब 940 ग्राम पंचायत
इसी प्रकार पिछले पंचायत चुनाव में यहां पर ग्राम पंचायतों की संख्या 949 थी। बैरिया, रतसर व नगरा नगर पंचायत होने के नाते 9 ग्राम पंचायतें कम हो गई हैं। बैरिया में एक, नगरा में तीन व रतसर में चार पंचायतें मर्ज हो गई हैं। लिहाजा अब इस चुनाव में यह संख्या 940 रह जाएगी।
बीडीसी की संख्या हुई 1441
पूरे जिले में क्षेत्र पंचायत सदस्य की संख्या पिछले चुनाव में 1474 थी लेकिन अब इस चुनाव में 1441 सीटों पर ही बीडीसी का चुनाव होगा। , क्षेत्र पंचायत सदस्यों की संख्या में भी 33 की कमी होगी।
ग्राम पंचायत सदस्य भी घटे
ग्राम पंचायत में कई ग्राम पंचायत सदस्य होते हैं। पिछले चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्यों की संख्या 12213 थी लेकिन इस बार यह संख्या 12098 हो जाएगी। ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी होने के कारण ग्राम पंचायत सदस्य की भी 115 संख्या घट जा रही है।
नए परिसीमन से प्रभाव
नए परिसीमन के प्रभाव को देखा जाए तो इस बदलाव से कोई खास प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है। इतना जरूर है कि जिला पंचायत का एक वार्ड कम होने के नाते वहां के प्रत्याशी अब किसी और वार्ड में अपने भाग्य आजमाने के लिए जाएंगे।बैरिया तो पहले ही से नगर पंचायत घोषित हो चुकी थी। वहां बीच में नगर पंचायत का चुनाव भी हो चुका है। ऐसे में वहां तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन नगरा व रतसर में प्रभाव पड़ना लाजिमी है। इन दो नई नगर पंचायतों के बनने के बाद आठ ग्राम पंचायतों की संख्या कम हो गई है। जाहिर सी बात है वहां ग्राम प्रधानी की तैयारी करने वाले लोगों में मायूसी होगी। वजह यह कि नगर पंचायत का चुनाव सबके लिए उतना आसान नहीं होगा, जितना ग्राम पंचायत चुनाव था। क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम पंचायत सदस्य के वार्ड कम होने से भी कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है।