आर्सेनिकयुक्त जल से मुक्ति के लिए विश्व बैंक ने दिए थे अनुदान, 18 गांवों में बननी थी पानी टंकी। जल निगम व जिला प्रशासन की लापरवाही के तय समय अवधि में नहीं हो पाया कार्य। जल निगम की लापरवाही को देखते हुए विश्व बैंक को शासन से वापस हो गया धन।
बलिया : आर्सेनिक युक्त जल से हुई कई मौतों के बाद भी जनप्रतिनिधि या जिला प्रशासन ने प्रभावित इलाके के लोगों को शुद्ध जल मुहैया नहीं करा पाए। आर्सेनिक प्रभावित गांवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वैश्व बैंक ने नीर निर्मल योजना के तहत 2017-18 में बलिया के 18 गांवों में पानी टंकी का निर्माण कराने के लिए लगभग 36 करोड़ रुपये अनुदान दिया था लेकिन जल निगम 2019 तक भी कहीं भी निर्माण शुरू नहीं करा सका। नतीजन विश्व बैंक ने 2019 अक्टूबर में सभी परियोजनाओं को निरस्त करते हुए अनुदानित धन वापस ले लिया और सभी अर्सेनिक प्रभावित गांवों के लोगों की जीवन आर्सेनिकयुक्त जल के बीच ही रह गया। जल निगम की इस लापरवाही के बाद विभाग में जिला खलबली तब मची जब इंटक नेता विनोद सिंह ने इस मुद्दे के साथ अधिकारियों से जवाब मांगना शुरू किया।
कहां कितनी लागत से होना था निर्माण
नंदपुर में 127.78 लाख, बघौंच में 191.90 लाख, बलीपुर सरांक में 178.39 लाख, भरसौंता में 186.19 लाख, भोजापुर में 245.48 लाख, विशुनपुरा में 161.45 लाख, चकहाजी शेखपुर में 115.93 लाख, दोपहीं में 131.86 लाख, गोन्हिंया छपरा में 182.7 लाख, मझौंवा में 174.71 लाख, पिलुई में 208.57 लाख, रामपुर कोड़रहा में 107.19 लाख, सहरसपाली में 223.24 लाख, सरायां में 138.83 लाख, सरवर ककरघटी में 184.90 लाख, शिवपुर दियर नबंरी में 441.48 लाख, सोनकीभांट में 212.64 लाख और तिखमपुर में 333.16 लाख से पानी टंकी के निर्माण के लिए धन स्वीकृत था।
परियोजना निरस्त होने के हुए ये प्रयास
डीएम ने भेजा पत्र-जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने तीन दिसंबर 2019 को प्रबंधक निदेशक उप्र जल निगम, लखनऊ को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने इस पत्र के माध्यम से बताया है कि इन परियोजनाओं के निरस्त होने से लाखों जनता शुद्ध पेयजल से वंचित हो जाएगी।
सीडीओ भी किए सिफारिश-मुख्य विकास अधिकारी विपिन जैन ने 23 अक्टूबर 2020 को अधिशासी निदेशक राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन लखनऊ को पत्र प्रेषित किया था। इसमें उन्होंने इस परियोजना को जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत पुनरीक्षित करने की सिफारिश की थी।
सांसद मस्त ने केंद्रीय मंत्री को दिया पत्र-सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने जल संसाधन मंत्री महेंद्र सिंह को 10 अक्टूबर 2020 को पत्र प्रेषित किया था। उन्होंने भी निरस्त परियोजनाओं को जल जीवन मिशन योजना में परिवर्तित कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मांग की थी।
सरकारी आंकड़ों में 310 बस्तियां प्रभावित
जनपद बलिया के 17 विकास खण्डों में कुल 1830 ग्राम हैं जिनमें कुल 5132 बस्तियां हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 310 बस्तियों में ही भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 50 पीपीबी (माइक्रोग्राम प्रति लीटर) से अधिक है, लेकिन धरातल पर बड़ी संख्या में गांव इसकी चपेट में हैं। डब्लूएचओ के मानक के अनुसार 10 पीपीबी है, लेकिन सरकार 50 पीपीबी के ऊपर के आंकड़े को खतरनाक मानती है।
आर्सेनिक से गंगापुर में हुई है 22 लोगों की मौत
गंगापुर गांव के लोगों ने बताया कि आर्सेनिक के कारण इस पंचायत में लगभग 22 लोगों की मौत हो चुकी है। मानवाधिकार में अपील करने के बाद इसकी मजेस्टियल जांच भी वर्ष 2018 में जून माह में हुई थी। उस वक्त जांच टीम में शामिल सदर के तत्कालीन एसडीएम अश्वनी कुमार श्रीवास्तव और एसीएमओ रहे डा. केडी प्रसाद जांच करने पहुंचे थे। उन्हें गांव के लोगों ने अपना बयान भी दर्ज कराया था लेकिन जांच के के बाद भी किसी भी पीड़ित परिवार को कोई आर्थिक मदद सरकारी की ओर से नहीं दी गई। आर्सेनिक से मौत का सिलसिला अभी भी जारी है।
बोले अधिकारी
जनपद के 18 स्थानों पर पानी टंकी का निर्माण होना था लेकिन कुछ स्थानों पर काफी नीचे तक आर्सेनिक की मात्रा मिली थी। वहीं कुछ स्थानों पर पानी टंकी के लिए जमीन नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में विश्व बैंक की ओर से अनुदानित धन शासन को समर्पित कर दिया गया। वहां से यह धन विश्व बैंक को वापस हो गया। अब नए सिरे से सभी स्थानों के लिए रिपोर्ट भेजी जा रही है। शासन से धन स्वीकृत होने के बाद ही सभी स्थानों पर निर्माण संभव हो सकेगा।
अंकुर श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, जल निगम, बलिया