बलिया : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बीते वर्ष लॉकडाउन के कारण बंद कक्षा 6 से 8 तक के स्कूल आज से खुल गए। प्राथमिक विद्यालय एक मार्च से खुलेंगे। प्रदेश में उच्च प्राथमिक स्कूल करीब 11 महीने और प्राथमिक विद्यालय करीब 12 महीने बाद खुलेंगे। स्कूल खुलने के बाद 100 दिन का विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य कोरोना महामारी के कारण बाधित हुई पढ़ाई की भरपाई करना है। इस दौरान बच्चों को रेमेडियल टीचिंग (उपचारात्मक शिक्षा) और तेजी से सिखाने (एक्सीलेरेटेड लर्निंग) पर फोकस होगा, ताकि वे कक्षा के अनुरूप पाठयक्रम की अपेक्षित जानकारी प्राप्त कर सकें। लंबे समय के बाद खुल रहे विद्यालयों में जब बच्चे पहुंचेंगे तो उन्हें बहुत कुछ बदला हुआ नजर आएगा। आपरेशन कायाकल्य के तहत लगभग विद्यालयों की सभी सुविधाएं बदल दी गई हैं।
टास्क फोर्स करेगी सघन चेकिंग
महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक के यहां से सभी जिलाधिकारियों को यह आदेश दिया गया है कि वे अपने जनपद में टास्क फोर्स गठित कर उक्त दिवस से सभी विद्यालयों का सघन चेकिंग कराएं। विभाग द्वारा दी जा रही सुविधाएं शौचालय, शुद्ध पेयजल, किचन शेड, भेजन बनाने और परोसने वाले बर्तन, कक्षा-कक्ष, विद्यालय परिसर की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देने को निर्देश दिया गया है।
- परिषदीय विद्यालयों की स्थिति
- परिषदीय विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या-298513
- मान्यता प्राप्त बच्चों को लेकर कुल संख्या-311743
- उच्च प्राथमिक विद्यालय-269
- कंपोजिट विद्यालय, कक्षा 1 से 8 तक-357
- प्राथमिक विद्यालय-1624
- कंपोजिट, प्राथमिक से प्राथमिक-60
- अंग्रेजी माध्यम-290
- कस्तुरबा-16
- विद्यालयों का हुआ कायाकल्प-1100
- विद्यालयों में स्मार्ट क्लास संचालित-90
पढ़ाई के नुकसान की हर हाल में होगी भरपाई : बीएसए
बीएसए शिवनारायण सिंह ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा एक से तीन के छात्रों को सहज पुस्तक भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे छात्रों में पढ़ने की प्रवृति डेवलप होगी। हमारा प्रयास है कि विद्यालयों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई हर हाल में की जाए। कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चों के लिए ई-पाठशाला संचालित की गई। इसके बावजूद बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। स्कूलों के खुलने के बाद प्राथमिक कक्षाओं के सभी बच्चों का गणित और भाषा ज्ञान जानने के लिए इन विषयों में उनका प्रारंभिक आकलन किया जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि बच्चों ने अब तक क्या सीखा।