बलिया डेस्क : पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं की गतिविधियां भी देती है मौसम की सटीक जानकारी। गांवों के लोग अब भी प्राकृतिक संकेतों से ही लगाते मौसम का पूर्वानुमान। डिजिटल युग में भी गांव के लोगों को प्राकृतिक संकेतों पर ज्यादा भरोसा।
मौसम की सूचनाएं अब मोबाइल पर भी मौजूद हैं। हर कोई दस दिन या एक माह आगे तक मौसम कैसा रहेगा, इसकी जानकारी आसानी से कर ले रहा है, इसके बावजूद हम पुरानी परंपराओं या चिंतन को नाकार नहीं सकते। गांव-देहात के बुजुर्गों का आज भी मानना है कि मौसम का पूर्वनुमान विज्ञान से कहीं ज्यादा सटीक आस-पास घटने वाली प्राकृतिक घटनाओं के जरिए लगाया जा सकता है। आधुनिक विज्ञान इसे बॉयोलॉजिकल इंडिकेटर कहता है। आइये समझते हैं प्राकृतिक संकेतों के व देसी ज्ञान से गांव के लोग कैसे लगाते हैं मौसम का पूर्वानुमान।
यह है मौसम का प्राकृतिक संकेत
नगर से सटे सरफूद्दीनपुर निवासी रामदत्त राय बताते हैं कि हरे भरे महुआ पेड़ को देखा जाता है तो अनुमान लगाया जाता है कि उस वर्ष मानसून बहुत अच्छा रहेगा। ठीक वैसे ही गर्मियों में बांस की पत्तियों में अत्यधिक हरापन दिखना, मानसून की बुरी खबर का संकेत है। दूर्वा या दूब घास गर्मियों में खूब हरी-भरी दिखाई दे तो माना जाता है कि आने वाला मानसून सामान्य से बेहतर या और ज्यादा बेहतर होगा। बेल के पेड़ पर पत्तियों की संख्या में कमी सामान्य या सामान्य से थोड़ा कम मानसून होने को इंगित करता है। गर्मियों में पीपल के पेड़ पर हरियाली यानि खूब सारी पत्तियों का दिखाई देना संतुलित या सामान्य मानसून को दर्शाती है। इसी तरह ज्यादा आम का फल लगने पर भी उस साल सर्वाधिक आंधी-पानी का संकेत होता है।
जीव-जंतुओं से भी मिलता मौसम का संकेत
द्वाबा के सोनबरसा गांव के निवासी महेंद्र ओझा बताते हैं गर्मियों गौरैया चिड़िया धूल में अठखेलियां करें या लोटती दिखाई दें तो वह अच्छे मानसून का संकेत होते है। मई के महीने में मेढ़क का टर्र-टर्र करना भी बारिश का सूचक माना जाता है। इस घटना को विज्ञान भी अपने नजरिए से देखता है।
बटेर नामक पक्षी जोड़ों में दिखाई दे और एक साथ आवाज निकालें तो माना जाता है कि कुछ देर बाद बरसात जरूर होगी। मोर का लगातार पीक मारते रहना भी एक या दो दिन में बरसात का सूचक माना जाता है। गांव देहात में सियार की आवाज का आना या रोना सुनाई देना, गांवों में अकाल का संकेत माना जाता है।
कहावतों में भी छिपी हैं मौसम की बातें
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि तपे जेठ तो वर्षा हो भरपेट, पहली पवन पूर्व से आवे, बरसे मेघ अन्न भर लावै। यदि मानसून की पहली हवा पूर्व दिशा से आए तो समझना चाहिए कि खूब वर्षा होगी और खूब अन्न उत्पादित होगा। शनिचर की झड़ी, कोठा ना कड़ी। यदि शनिवार के दिन वर्षा शुरू हो जाए तो समझिए कि लगातार कई दिनों तक वर्षा होगी। इस तरह और भी कई कहावतें हैं जिसमें मौसम की सटीक जानकारी छिपी होती हैं।