शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क की बदहाली से नहीं मुक्त हो पाया बलिया। सत्ता पक्ष व विपक्ष के नेतओं को मिलकर करना चाहिए अलग प्रयास। सभी सुविधाओं को विशेष संजीवनी की जरूरत है।
बलिया : सीएम योगी की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट विधानसभा में पेश कर दिया है। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने यूपी के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा 5,50,270 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। सरकार ने बजट को युवाओं, किसानों व महिलाओं पर केंद्रित बताया। सरकार के लोग मानते हैं कि इस बजट से समाज के वंचितों और शोषितों का भविष्य संवरेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल की योजनाओं पर भी सरकार ने बेहतर दिशा में कदम बढ़ाया है लेकिन स्थानीय स्तर से हम पड़ताल करें तो बलिया के विकास को लेकर भले ही काफी शोर मचाया जा रहा है लेकिन यहां की सभी प्रमुख सुविधाएं काफी कमजोर हैं। शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य सेवाएं तो सबसे ज्यादा बदहाल हैं। सभी को विशेष संजीवनी की जरूरत है। आम जतना मानती है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं को मिलकर कर बलिया के विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।
स्वास्थ्य सुविधाओं का है यह हाल
बलिया में 18 सीएचसी, 13 पीएचसी, 66 न्यू पीएचसी, 02 अरबन अस्पताल हैं। जनपद में 221 चिकित्सकों की अवश्यकता है। इसमें 113 चिकित्सक ही जनपद में मौजूद हैं। जिला अस्पताल में सुविधाएं बढ़ीं है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उपचार की व्यवस्था सही नहीं होने के चलते हर दिन मरीजों की भारी भीड़ रहती है। चार वर्षों से ट्रामा सेंटर बनकर तैयार हैं लेकिन उसे एक्सपर्ट चिकित्सकों के अभाव में चालू नहीं किया जा रहा है।
इंटर कालेजों में पढ़ाई की दशा
जनपद में 91 एडेड विद्यालय हैं। जिसमें 498 प्रवक्ताओं के सृजित पद हैं लेकिन तैनाती 299 की है। सहायक अध्यापकों सृजित पद 1367 है। इसमें भी 781 सहायक अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं। जनपद में 32 राजकीय विद्यालय हैं। इसमें 19 प्रधानाचार्यों का पद रिक्त है। 92 प्रवक्ताओं का सृजित पद है लेकिन 86 प्रवक्ताओं का पद रिक्त है। 278 सहायक अध्यापकों के सृजित पद हैं, इसमें 174 सहायक अध्यापकों के पद रिक्त हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षा की दशा क्या होगी सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
नेशनल हाईवे भी नहीं बना
बलिया में एनएच-31 की मरम्मत के लिए भी चार सालों से लोग आंदोलित हैं। इसके बाद भी उसकी मरम्मत नहीं हो सकी। गाजीपुर से बलिया के मांझी घाट तक लगभग 130 किमी यह नेशनल हाईवे गड्ढ़े में तब्दील है। इसकी मरम्मत के लिए सात माह पहले ई-टेंडर हो चुका है लेकिन अभी काम तक शुरू नहीं हुआ है। इस पर सफर करते हुए लोग रोज अपने भाग्य को कोस रहे हैं।