बलिया में 26 अप्रैल को होना है चुनाव, 1451 मतदान केंद्रों पर पड़ेंगे वोट। कहीं लाठी का दम तो बंदूकों के गरजने का भी कायम है इतिहास। जनता पर ज्यादा खर्च करने वाले को ही मतदाता मान रहे दमदार।
बलिया : यह सही है कि ग्राम पंचायतों को शासन स्तर से जैसे-जैसे ताकतवर बनाया जाने लगा, पंचायत चुनाव के तौर-तरीके भी बदलने लगे। ग्राम प्रधान को कई तरह के पावर प्रदान किए गए। योजनाएं भी अनगिनत लागू की गईं। धन भी बहुत ज्यादा आने लगे। यही कारण है कि ग्राम पंचायतों में प्रधान बनने के लिए सभी तरह के तिकड़म लगाए जाने लगे हैं। जनपद में पिछले दो दशक के अंदर हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर गौर करें तो कई स्थानों पर प्रधान बनने के लिए कहीं लाठी-डंडे का दम दिखाया गया तो कहीं बंदूकें भी गरजीं। एक बार फिर पंचायत चुनाव उसी मोड़ पर खड़ा है। बलिया में 26 अप्रैल को चुनाव होना है।
चुनाव में सबकी बदली मानसिकता
पंचायत चुनाव में अब सबकी मानसिकता बदल गई है। सामान्य मतदाता कहते हैं कि अब पंचायत की राजनीति पूरी तरह धन और बल पर टिक गई है। जिसके पास यह नहीं वह समाज की सेवा करते-करते बुजुर्ग हो जाता है लेकिन उसे प्रधान पद का ताज नहीं मिल पाता। किसी को यदि मिल भी गया तो वह अपवाद है। इस बारे में प्रत्याशियों की राय जानने पर उनका कहना है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार से जनता भी तरह-तरह का डिमांड करती है। उनकी डिमांड पूरी न की जाए तो वह नाराज हो जाती है। यह बदलाव युग और सोच दोनों का है। चुनाव जीतना है तो डिमांड पूरी करना प्रत्याशियों की मजबूरी है।
चुनाव के दिन खत्म हो जाते सभी आदर्श
चुनाव से पहले प्रत्याशी समाज में सद्भाव की बात करते हैं। गांव को एकता के धागे में बांधने का संकल्प लेते हैं, लेकिन चुनाव के दिन उनके सभी आदर्श समापत हो जाते हैं। मतदान केंद्र से लेकर गांव तक सभी जगहों पर स्वयं प्रत्याशी और उनके समर्थक ही तनाव की स्थिति उत्पन्न करते हैं। पिछले कई चुनाव से ऐसा ही देख जा रहा है।
तब अलग होता पंचायत का चुनाव
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले पंचायत का चुनाव इस तरह से नहीं होता था। गांव में प्रधान या अन्य पदों के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना जाता था जो वास्तव में उस पद के लायक होता था। चुनाव में न पोस्टर हुआ करते थे, न आज की तरह अवैध खर्चे। गांव के द्धारा चयनित प्रत्याशी के साथ लोग समूह बनाकर वोट मांगते थे।
अब गुटबाजी में बंटे हैं सभी गांव
जनपद में अभी के समय में 940 ग्राम पंचायत हैं। गांवों की संख्या 2361 है। गांव के बुजुर्ग झूलन सिंह बताते हैं कि अब के समय में किसी भी गांव में एकता का वह भाव नहीं दिखता जो पहले था। हर गांव में कई गुट बन गए हैं। चुनाव में अलग-अलग गुटों की अपनी-अपनी रणनीति है। यही एक कारण है कि हर पंचायत में प्रत्याशियों की बाढ़ है, आपसी टकराव है। कोई किसी को हराने की मंशा से ताल ठोक रहा तो कोई अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए।
- त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-बलिया
- कुल मतदाता-25,13,271
- जिला पंचायत सदस्य-58
- ब्लाक-17
- क्षेत्र पंचायत सदस्य-1441
- ग्राम पंचायत-940
- ग्राम पंचायत सदस्य-12098
- पोलिंग सेंटर-1451
- पोलिंग बूथ-3919