जेपी के गांव सिताबदियारा में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने 1982 में बनवाया था पुराना बीएसटी बांध, इसी पर है सड़क, जिसके माध्यम से सभी पहुंचते हैं सिताबदियारा। अब सिताबदियारा को बाढ़ और कटान से बचाने के लिए 125 करोड़ की लागत से यूपी-बिहार दोनों सीमा में बन रहा है नया रिंग बांध। छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के प्रयास से अब इस इलाके गांव बाढ़ और कटान से पूरी तरह मुक्त हो जाएंगे।
सिताबदियारा : लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताबदियारा में एक समय वह भी था जब पूर्व प्रधानमंत्री युवा तुर्क चंद्रशेखर इसे अपना तीर्थ मानते थे। इसलिए कि जेपी ने स्वयं अपने जीवन काल में ही चंद्रशेखर के जिम्मे सिताबदियारा को सौंप दिया था। तभी से चंद्रशेखर सिताबदियारा को अपना तीर्थ मानते रहे। अब उसी पद चिन्ह पर छपरा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी भी चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसा गांव के लोग भी मानते हैं। चंद्रशेखर ने अपने जीवनकाल में 1982 में सिताबदियारा को बीएसटी बांध की सौगात दिए थे। उससे पहले जेपी के गांव में जाने के लिए कोई सड़क नहीं थी। इस बांध के बनने के बाद ही सिताबदियारा से छपरा, पटना, बैरिया या बलिया के लिए वाहन चलने शुरू हुए।
रूडी के ने किया कटान और बाढ़ का स्थाई निदान
जेपी के गांव को बाढ़ और कटान से बचाने के लिए सांसद रूडी ने बड़ी सौगात दी। इसमें न सिर्फ बिहार का इलाका बल्कि यूपी के गांव भी शामिल हुए। सांसद के प्रयास से जेपी की गांव के यूपी और बिहार दोनों भाग को बचाने के कुल 125 करोड़ की परियोजना पर दोनों राज्यों की सहमति बनी। इसके तहत बिहार सीमा में कुल चार किमी में घाघरा के किनारे रिंग बांध का निर्माण कार्य छपरा के जल संसाधन विभाग की देखरेख में वर्ष 2018 में शुरू हुआ और वर्ष 2019 में यह रिंग बांध खड़ा भी हो गया। बिहार सीमा में रिंग बांध के लिए कुल 85 करोड़ का बजट है। इस बांध की मजबूती और बाढ़ के बाद गांव की ओर से पानी के निकास के लिए पुलिया आदि का निर्माण कार्य अभी जारी है।
यूपी भाग में धीमी गति से चल रहा कार्य
इधर यूपी के बाढ़ खंड विभाग को इसी रिंग बांध को गंगा और घाघरा दो भाग में बनाना है। बिहार से दो साल पीछे यूपी में गंगा और घाघरा किनारे रिंग बांध का निर्माण विगत दो माह से शुरू है। जिसमें गंगा के भाग में 2300 मीटर और सरयू (घाघरा) के भाग में 1175 मीटर में रिंग बांध बनाया जाना है। 40 करोड़ रुपये इस पर खर्च होना है, लेकिन ग्रामीण मानते हैं कि जिस तरह बिहार ने अपनी सीमा में रिंग बांध का निर्माण कराया है, उस तरह का कार्य यूपी सीमा के भवन टोला या अठगांवा में नहीं हो रहा है। यूपी में मानक को लेकर विरोध भी हो रहा है, लेकिन बलिया के सिंचाई विभाग को इससे कोई मतलब नहीं है।
रिंग बांध के घेरे में हैं सिताबदियारा के ये गांव
यूपी-बिहार दोनों सीमा में रिंग बांध बन जाने के बाद बिहार सीमा के सिताबदियारा पंचायत के आलेख टोला, गरीबा टोला, रामनगर, रावल टोला, चैन छपरा, छोटका बैजू टोला, शोभा छपरा, लाला टोला, रामेश्वर टोला, इसी क्षेत्र के प्रभुनाथनगर पंचायत के दक्षिणवारी चक्की, उत्तरवारी चक्की, आदि गांव सुरक्षित होंगे। वहीं यूपी सीमा के विकासखण्ड मुरली छपरा अतर्गत इब्राहिमाबाद नौबरार पंचायत के रामेश्वर टोला, सुफल टोला, घूरी टोला, नवका टोला का कुछ हिस्सा, बड़का सुफल टोला, शिनारायण टोला, दलेल टोला, व कोड़हरा नौबरार पंचायत के भवन टोला, सठिया को बाढ़ से मुक्ति मिल जाएगी।
रिंग बंधा का अधूरा कार्य जल्द होगा पूरा, चल रहा है काम : एसडीओ
छपरा जल संसाधन विभाग के एसडीओ सूर्यनाथ सिंह ने बताया कि सिताबदियारा में रिंग बंधा के अधूरे कार्यों को जल्द पूरा किया जाएगा। रिंग बांध के बांहर जिस तरह गैबियन बनाकर बोरी डाला गया है, उसी तरह अंदर से भी बोरी डालने का कार्य प्रारंभ हो रहा है। इसके अलावा गांव के अंदर से पानी के निकास के लिए भी समुचित व्यवस्था की जा रही है, जिससे कि बाढ़ खत्म होने के बाद बाढ़ का पानी जल्द गांव से बाहर चला जाए।
सिताबदियारा के लिए बहुत कुछ करना बाकी, अभी और मिलेंगे कई सौगात : रूड़ी
बाढ़ और कटान से तंग रहने वाले पूज्य भूमि सिताबदियारा के लोगों की वर्षों से यह मांग थी कि उन्हें बाढ़ और कटान दोनों से मुक्ति मिल जाए, इसके लिए मैने लंबा प्रयास किया। सबसे पहले अपनी पूरी टीम के साथ पूरे इलाके का सर्वे किया। वहां की स्थिति को करीब से देखा, कुछ विभागीय एक्सपर्ट लोगों से इस बारे में राय ली और उसके बाद इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया। यह दो राज्यों से जुड़ा मामला था, इसलिए दोनों राज्यों की सहमति भी जरूरी थी। इस तरह केंद्र और राज्य दोनों की सहमति से यह बड़ा कार्य सिताबदियारा में अब संपन्न होने को है। अब वहां के लोग कटान और बाढ़ से पूरी तरह मुक्त हो जाएंगे। इसके अलावा सिताबदियारा को अभी और कई सौगात मिलेंगे।