जन्मभूमि पूजन के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे जुड़े यथार्थ को स्पष्ट शब्दों में व्यक्त कर दिया। उन्होंने कहा कि टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से रामजन्म भूमि मुक्त हुई है।
बलिया डेस्क : राम मंदिर आंदोलन अर्पण-तर्पण, संघर्ष के साथ संकल्प का भी प्रतीक है। भारत की आजादी के लिए कई पीढ़ियों व लाखों-लाख लोगों ने बलिदानी दी। ठीक इसी तरह राम जन्मभूमि पर मंदिर के लिए कई सदियों तक कई पीढ़ियों ने अखण्ड, अविरल एवं एकनिष्ठ प्रयास तप किया, बलिदानी दी। इस प्रकार आज का दिन 15 अगस्त की तरह ही है। ईमारते नष्ट किए गए, क्या कुछ नहीं किया गया, राम के अस्तित्व को मिटाने के लिए। लेकिन, इसके बावजूद राम हर भारतीयों के मन में विराजमान है। राम मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। राम का प्रत्येक कार्य मर्यादा के साथ होता है। कोरोना के समय भी हमने मर्यादा का पालन किया। अयोध्या में नया इतिहास बन रहा है। या यूं कहें कि अयोध्या में इतिहास स्वयं को दोहरा रहा है।