गंगा व सरयू नदी हर साल मचाती तबाही, नदी में समाते रहते आलीशान मकान। शासन से धन मिलने के बाद भी कहीं भी नहीं पूरा हो पाए हैं कटानरोधी कार्य। जेपी के गांव जाने वाले बीएसटी बांध के पास 671 लाख की लागत से बना टी-स्पर कट गया। इससे बाढ़ विभाग के भ्रष्टाचार की पोल परत-दर-परत खुलने लगी है।
बलिया डेस्क : बलिया की आधी आबादी के लिए अगस्त से सितंबर तक दो महीने बड़े ही भयावह होते हैं। गंगा और सरयू नदी के धारा में कहीं आलीशान मकान गिरते हैं तो कहीं अचानक हजारों जिंदगियां डूबने-उतराने लगती हैं। पिछले कई सालों से जिले के प्रभावित क्षेत्रों में कुछ ऐसी ही तबाही झेलने को लोग विवश हैं। इधर फिर तबाही का वही मंजर एक बार फिर तटवर्ती लोगों के सामने हैं। जेपी के गांव जाने वाले बीएसटी बांध की सुरक्षा के लिए बने टी-स्पर का 70 फीसद हिस्सा कट गया। सरयू नदी अब बांध को भी कटान के जद में ले सकती हैं। यही कारण है कि कटानरोधी कार्याे पर भी भरोसा नहीं है। सरकार ने तटवर्ती लोगों की सुरक्षा में भले ही करोड़ों खर्च किए, लेकिन उनके मन में तबाही का डर इसलिए है कि विभाग ने कहीं भी मानक के अनुसार कार्य नहीं कराया है।
29 करोड़ खर्च के बाद भी टूटा था रिंग बांध
दुबे छपरा में 29 करोड़ के कटानरोधी कार्य के बाद भी 16 सितंबर 2019 को वहां का रिंग बंधा दोबारा टूट गया था। अचानक लगभग 50 हजार की आबादी जलमग्न हो गई थी। अगले दिन 17 सितंबर 2019 को स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे थे। तभी नदियों की धारा को मोड़ने के लिए ड्रेजिंग कार्य की घोषणा की थी। वह कार्य हो रहा लेकिन सुरक्षित लेवल तक नहीं पहुंचा पाया है। यह रिंग बंधा 27 अगस्त 2016 में भी टूटा था। जिसके बाद 29 करोड़ का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था।
2014 में यहां गिरे थे 350 मकान
सरयू के कटान से सबसे बड़ी तबाही वर्ष 2014 में इब्राहिमाबाद नौबरार में हुई थी। वहां किसानों के लगभग 400 एकड़ भूमि के साथ ही गांव के लगभग 350 मकान नदी में समा गए थे। जबकि इस गांव को बचाने के लिए लगभग 17 करोड़ खर्च किए गए थे।
धन मिलने के बाद भी नहीं हुए पुख्ता इंतजाम
बाढ़ व कटान प्रभावित क्षेत्रों में शासन से धन मिलने के बाद इस साल गंगापुर में 462.35 लाख, रामगढ़ में 369.11 लाख, अठगांवा में 671 लाख, सिताबदियारा में 159 लाख, दुबे छपरा 750 लाख, नौरंगा में 993 लाख की लागत से कटानरोधी कार्य कराए गए हैं, लेकिन कहीं भी सौ फीसद कार्य मानक के तहत नहीं हो पाए हैं। जेपी के गांव सिताबदियारा में यूपी-बिहार की आबादी को बचाने के लिए 125 करोड़ की संयुक्त परियोजना के तहत नए रिंग बांध का निर्माण भी यूपी के कारण अधूरा रह गया है। बिहार ने 85 करोड़ की लागत से अपनी सीमा में रिंग बांध तैयार कर दिया है, लेकिन यूपी की ओर से लगभग 40 करोड़ की लागत से 2300 मीटर में रिंग बांध का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया, नतीजन सिताबदियारा में दोनों सीमा की लगभग 60 हजार की आबादी फिर बाढ़ के हवाले हैं। दुबे छपरा में 30 करोड़ की लागत से नदी की धारा मोड़ने का ड्रेजिंग कार्य भी अभी अधूरा है। रेवती, सिकंदरपुर और बेल्थरारोड क्षेत्र पर तो विभाग का ध्यान ही नहीं, यहां की सुरक्षा नदी कृपा पर निर्भर है।
बोले अधीक्षण अभियंता-हर स्थिति का करेंगे सामना
ड्रेनेज मंडल बलिया के अधीक्षण अभियंता भानु प्रताप सिंह ने कहा कि जहां भी कटानरोधी कार्य हो रहे थे, वह सुरक्षित लेवल तक हो चुके हैं, इधर बारिश और नदियों का जल स्तर बढ़ने के कारण कार्य प्रभावित हो गया है, लेकिन हम हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं।