समृद्ध विरासत का धनी बलिया आजादी के इतने सालों के बाद भी आर्थिक विकास की दौड़ में अपने समकक्ष जिला में पीछे। एशिया में जाता परंपरागत उद्योग मनियर की बिंदी व हनुमानगंज का सिंहोरा
बलिया डेस्क : किसी भी जनपद के आर्थिक एवं व्यवसायिक विकास के लिए उस जनपद की भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति तथा सामाजिक स्थितियां महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। तीन तरफ से नदियों से घिरे बलिया जनपद की आर्थिक एवं व्यवसायी स्थितियों की चर्चा की जाए तो हम यह पाते है कि प्राचीन समय में समृद्ध विरासत का धनी बलिया जनपद आज आजादी के 70 सालों के बाद भी आर्थिक विकास की दौड़ में अपने समकक्ष जिला में पीछे रह गया हैं। बीते 70 सालों में देश और प्रदेश में कई सरकारें आई और गई बहुत कुछ सोचा गया उसमें कुछ अमल में भी लाया गया लेकिन अपने जनपद का अपेक्षित विकास जो होना चाहिए था वह हो न सका। आज भी जनपद पूर्वांचल के सबसे पिछड़े जिले का दंश झेल रहा है।
प्रमुख व्यवसायिक गतिविधियां
जनपद की प्रमुख व्यवसायिक गतिविधियों की चर्चा की जाए तो यह दिखाई देता है कि बलिया में मुख्यत कृषि व कुटीर उद्योग बहुतायत में है। जहां आपको कोल्ड स्टोरेज अथवा राइस मिल आदि कृषि उत्पादों में है वहीं बनरहीं माधाेपुर में कुछ लघु उद्योग इकाइयां लगी हुई है। वहीं कुछ क्षेत्रों में परंपरागत उद्योग जैसे मनियर की बिंदी, हनुमानगंज का उद्योग के कुटीर इकाइयां चल रही हैं। वहीं खुदरा व्यवसायिक गतिविधियों में बलिया में चल रहे अंग्रेजी कंपनियों के शोरूम तथा अन्य मध्यम व्यापार शामिल किया जा सकता है।
आर्थिक व व्यवसायिक विकास के लिए जरूरी कारक
किसी भी जनपद में आर्थिक विकास हेतु कुछ जरूरी कारक होते है जैसे परिवहन सुविधाएं, बिजली की उपलब्धता, मैन पावर योजना बनाकर लागू करें साथ ही जिले के आधारभूत ढंग का विकास की पटरी पर लाने का प्रयासस करेगी तो कुछ अच्छा रिजल्ट आ सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बलिया आर्थिक व व्यवसायिक विकास की दौड़ में काफी पीछे है और जनपद को विकास की दौड़ में सम्मानजनक स्थिति में लाने के लिए छोटे मोटे प्रयास की नहीं वरन सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।
परियोजनाएं जिनके माध्यम मिल सकती तरक्की की राह
कहते है कि सड़केें विकास की नींव होती है यदि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे मांझी तक आता तो बलिया की तीव्र विकास होता। इस एक्सप्रेस वे के अगल-बगल कई उद्यम स्थापित होते तथा आम जनता व वस्तुओं का आवागमन आसान होता। इलाहाबाद से हल्दियां तक जाने वाली जल परिवहनन का बंदरगाह जो कि बक्सर में स्थापित हो रहा है। यदि वह बलिया में स्थापित होता तो यहां की तस्वीर बदल जाती, ऐसा हो न सका। सरकारी क्षेत्र का यदि एक भी बड़ा उद्यम यदि बलिया में स्थापित होता तो उससे संपर्क से कई और भी संबंधित व्यवसाय बलिया में स्थापित होते और आर्थिक विकास होता। यदि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट योजना की जगह उप्र सरकार यदि एक साथ पांच जिले की आवश्यकताओं पर हर वर्ष केवल बलिया जैसे पांच पिछड़े जिलों का चयन कर उनके संपूर्ण विकास हेतु विस्तृत कार्य की उपलब्धता। प्रशासनिक मदद व सरकारी योजनाएं आदि। बलिया जनपद के परिप्रेक्ष्य में यदि देखा जाए तो जहां रेल सुविधाओं में गुणात्मक विकास हुआ है। वहीं अभी भी सड़क का जनपद के हर कोने में सुधार नहीं हुआ है। एक तरफ शहरी क्षेत्र में बिजली में सुधार हुआ है। वहीं देहात में अभी भी कटौती जारी है।
उन्नति को करनी होगी यह पहल
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिले का आर्थिक विकास के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज लाना होगा। तथा यहां पर उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को टैक्सों मेें रियायत देनी होगी तभी कोई यहां उद्योग धंधा लगाने की पहल करेगा। जनपद में सरकार द्वारा सकारात्मक माहौल का निर्माण करना है और इच्छुक उद्यमियों की काउंसलिंग करके उन्हें प्रशासनिक सहयोग का भरोसा दिलाना होगा। उद्याेग विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का प्रचार प्रसार करना होगा। चूकि बलिया कृषि प्रधान जिला है। इसलिए फूड प्रोसेसिंग यूनिटी की सुविधा के लिए सरकार द्वारा स्पेशल इकोनामिक जोन का निर्माण कराया जाए। साथ ही वहां टैक्सों का रियायत की जाए साथ ही सुविधाएं दी जाए जिससे यह एरिया विकसित हो जाए।