विभागीय अफसरों की देखरेख में चल रहा काम, फिर भी कदम-कदम पर दिख रहा घालमेल। सिताबदियारा और दूबे छपरा क्षेत्र बना विभाग व ठेकेदारों के लिए धनकुबेर का खजाना, जेपी के गांव में रिंग बांध के निर्माण में मानक की अनदेखी, मनमाना करा रहे हैं कार्य।
बलिया डेस्क : शासन स्तर से कटानरोधी कार्यों के लिए भले ही करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन मौके के हालात ऐसे हैं कि हर मोड़ पर घालमेल ही नजर आ रहा है। जहां भी कटानरोधी कार्य हो रहे हैं, वहां बाढ़ विभाग के एसडीओ और अभियंता कार्य की निगरानी कर रहे हैं, इसके बावजूद डंके की चोट पर घालमेल किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीण यह घालमेल देख अपनी शिकायत भी दर्ज करा रहे हैं लेकिन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे विभाग के अधिकारियों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, वह मनमाना कार्य करा रहे हैं। बैरिया विधानसभा में जेपी के गांव सिताबदियारा क्षेत्र और दूबे छपरा ठेकेदारों और संबंधित विभाग के लिए धनकुबेर का खजाना साबित हो रहा है।
हम जेपी के गांव में यूपी-बिहार की संयुक्त परियोजना नए रिंग बांध के निर्माण की पड़ताल करें तो यहां गंगा और सरयू दोनों किनारों पर रिंग बांध के निर्माण घालमेल की ही कहानी मिलती है। 125 करोड़ की इस परियोजना की नींव वर्ष 2018 में रखी गई। बिहार व यूपी के साझे वाली इस परियोजना को बिहार ने वर्ष 2019 में ही पूर्ण कर लिया। इस पर कुल 85 करोड़ रुपये खर्च हुए। वहीं यूपी सीमा में लगभग 40 करोड़ की लागत से बनने वाला रिंग बांध अभी निर्माणाधीन है। यूपी सीमा में इस रिंग बांध का कार्य दो भाग में हो रहा है। जिसमें गंगा के भाग में 2300 मीटर और सरयू (घाघरा) के भाग में 1175 मीटर में रिंग बांध बन रहा है।
फटे जीइओ ट्यूब को मिट्टी से ढ़क दिया
इस रिंग बांध के निर्मण में यूपी की सीमा में वर्ष 2018 में रिंग बांध पर मात्र दो करोड़ रुपये खर्च कर कोड़रहा नौबरार (जयप्रकाश नगर) के सामने गंगा नदी के किनारे करीब दो सौ मीटर की दूरी में दस जियो ट्यूब लगवाते हुए मिट्टी भरवाकर छोड़ दिया गया था। इस साल जब काम लगा तो वह जीइओ ट्यूब पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर नष्ट मिला, लेकिन अभी चल रहे निर्माण कार्य के दौरान उस फटे जीइओ टयूब को बदलने के बजाय उस जल्दीबाजी में मिट्टी से भर दिया गया। ठेकेदारों की इस कारगुजारी को देखकर भी विभाग के अधिकारी उस पर पर्दा डाल दिए।
इस तरह के घालमेल से जेपी के गांव की आबादी को भी भविष्य में दूबे छपरा की तरह अचानक बाढ़ आपदा का शिकार हो सकता है। इस संबंध में पूछने पर वहां मौके पर तैनात बाढ़ खंड के अभियंता प्रशांत गुप्ता ने दावा किया कि फटे हुए जीइओ टयूब को बदल दिया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों में किसी ने भी इस बात की पुष्टि नहीं की। अब उसके ऊपर मिट्टी का टीला खड़ा कर दिया गया है।
यूपी-बिहार के निर्माण में भी काफी अंतर
यूपी-बिहार की संयुक्त परियोजना वाले इस रिंग बांध के निर्माण में यूपी-बिहार दोनों सीमा के कार्य में जमीन आसमान का अंतर है। सरयू के तट पर बिहार की ओर से जब रिंग बांध का निर्माण हो रहा था तब रिंग बांध के जमीनी सतह से ही हर तीन फीट पर मिट्टी को दाबने के लिए रोलर चलाकर उसे बैठाया जाता था, ताकि वह जमीनी सतह से ही मजबूत हो, इधर यूपी सीमा में सैकड़ों ट्रैक्टर लगाकर या जेसीबी से जैसे-तैसे केवल मिट्टी का टीला खड़ा किया जा रहा है। इसकी शिकायत गांव के लोगों ने उच्च अधिकारयाें से भी किया लेकिन अधिकारियों ने सभी को यूपी-बिहार के अलग-अलग मानक का हवाला देकर समझा दिया।
टी-स्पर पर निर्माण से ज्यादा मरम्मत में खर्च
कटानरोधी कार्यों में ताजा मामला सरयू नदी के तट पर अठगांवा में कटान रोधी कार्य को लेकर यह प्रकाश में आया है। कांग्रेस नेता व इंटक जिलाध्यक्ष विनोद सिंह ने आरोप लगाया है कि इस कार्य योजना की स्वीकृति वर्ष 2017-18 हुई थी तथा कुल 6 करोड़ 37 लाख रुपए के लागत से ठोकर का निर्माण हुआ था। पुनः उसी ठोकर के मरम्मत के लिए वर्ष 2019-20 में 6 करोड़ 71 लाख रुपए स्वीकृत हुए। सवाल यह उठता है मात्र 2 साल पहले बने परियोजना पर मूल लागत से काफी धन मरम्मत पर कैसे खर्च हो रहा है।
दूबे छपरा में पार्को पाइन की भी खुली पोल
दूबे छपरा में पार्काे पाइन के कार्य की भी पोल खुल गई है। यहां पार्को पाइन के कार्य के लिए जो पत्थर के खम्भे गिराए गए हैं वे पत्थर जमीन पर उतरते ही अपनी पोल खोल दिए। इसके अंदर दो सरिया हैं और उसमें सींमेंट या गिट्टी भी काफी खराब किस्म का प्रयाेग किया गया है। ये खम्भे उतारते वक्त ही झड़ने लगे हैं, ये पानी में कितनी मजबूती से कितने दिनों तक खड़ा रह सकते हैं, सहज अनुमान लगाया जा सकता है।