बलिया डेस्क : एक साथ 25 कस्तूरबा विद्यालयों में नौकरी करने वाली शिक्षिका अनामिका शुक्ला का नाम सामने आने के बाद हर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग की कुंडली खंगाली जाने लगी है। उक्त शिक्षिका की गिरफ्तारी के बाद फर्जी कागजातों के कई राज उजागर हुए हैं। इस तरह के मामले किसी एक जिले में ही नहीं है। प्रदेश के हर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों के बड़े-बड़े कारनामें सामने आए हैं। इस तरह के मामले किसी एक जिले में ही नहीं है। प्रदेश के हर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े के बड़े-बड़े राज दफन हैं। हम बात बलिया की करें तो यहां भी विगत दो साल के अंदर फर्जी कागजातों के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षकों के आधा दर्जन से अधिक मामले प्रकाश में आए हैं। इसके बाद विभाग की ओर से सभी को नौकरी से बर्खाश्त जरूर कर दिया गया, लेकिन उनसे वेतन की रिकवरी नहीं हो पाई। इसलिए कि इसमें से बहुत से फर्जी शिक्षकों ने अपने निवास प्रमाण पत्र भी फर्जी लगाया है। इस वजह से विभाग की नोटिस भी गलत पते पर पहुंच रही है।
फर्जी शिक्षकों के कारनामे
जनपद में अब तक मिले फर्जी शिक्षकों के फर्जीवाड़े के सभी कारनामे अब आलोपित होने लगे हैं। इनमें से कुछ ने कोर्ट ये स्टे ले रखा है तो कुछ के निवास फर्जी दर्ज होने के चलते विभाग की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस तरह सरकार के करोड़ो रुपये लेकर ये फर्जी शिक्षक कहीं आराम की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, वहीं विभाग इंतजार कर रहा है कि सभी फर्जी शिक्षक आज नहीं तो कल ईमानदारी से जितना वेतन लेकर भागे फिर रहे हैं, वे सरकार के कोष में जमा कर देंगे।
14 साल में लगाया लगभग एक करोड़ का चूना
शिक्षा क्षेत्र पंदह के प्राथमिक विद्यालय संदवापुर पर तैनात प्रधानाध्यापक अरूण कुमार मिश्र की नियुक्ति 06 जनवरी 2006 से थी। वह 01 अगस्त 2018 से लगातार अनुपस्थित चल रहे थे। उनका निवास प्रमाण पत्र भी कुटरचित मिलने के बाद उन पर विभागीय कार्रवाई की गई। तब तक उक्त शिक्षक ने वेतन के नाम पर 14 वर्ष में लगभग एक करोड़ चूना विभाग लगा रखा है। अब वेतन की रिकवरी कैसे होगी, यह विभाग के लिए भी चुनौती है।
फर्जी डिग्री पर 20 साल की नौकरी
शिक्षा क्षेत्र रेवती में तैनात शिक्षक नारायण जी यादव की बीएड की डिग्री फर्जी मिली थी। वह छह दिसम्बर 1999 से कार्यरत थे। वह भी 20 साल से इस फर्जी डिग्री पर नौकरी किए। मामला पकड़ में आने के बाद उन पर भी नोटिस जरूर जारी की गई लेकिन आज तक वेतन की रिकवरी नहीं हो पाई।
दस साल की सहायक अध्यापक की नौकरी
शिक्षा क्षेत्र बांसडीह में भी एक शिक्षिका ने यहां के प्राथमिक स्कूल में फर्जी अभिलेखों के आधार पर नौकरी पाकर दस वर्षों तक लगातार वेतन लेती रही। वह बांसडीह शिक्षा क्षेत्र के पिण्डहरा गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय पांडेय के पोखरा पर वर्ष 2009 से सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत थीं। पूनम यादव ने करीब दस वर्षो में पचास लाख रुपये से अधिक वेतन लिया है। उक्त शिक्षिका ने आजमगढ़ में कार्यरत अपने ही नाम वाली एक शिक्षिका के अभिलेख व कागजातों को ही फर्जी रूप से लगाकर बलिया में नौकरी हासिल की थी।
शिक्षा मित्र के अंकपत्र में भी मिला था फर्जीवाड़ा
शिक्षा क्षेत्र गड़वार के प्राथमिक विद्यालय भीखमपुर पर तैनात शिक्षामित्र मीना यादव के द्वारा भी अंकपत्रों में कूटरचना कर नियुक्ति पाने की सच्चाई सामने आई थी। शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक में समायोजित होने के समय अलग-अलग प्राप्तांक वाला अंक पत्र प्रस्तुत किया गया था। मामले पकड़ में आने के बाद उन्हें भी बर्खाश्त कर वेतन रिकवरी के आदेश दिया गया हैं, लेकिन आज तक रिकवरी नहीं हाे पाई।